– राज्यसभा सदस्य चुनाव में सपा-कांग्रेस हुई चारो खाने चित
– रालोद पहले ही सपा से हो चुका था अलग, बसपा ने भी दिया भाजपा को समर्थन
– अब लोकसभा चुनाव को लेकर नये सिरे से मंथन को मजबूर हुई सपा
अनुज मित्तल (समाचार संपादक)
मेरठ। राज्यसभा चुनाव में भाजपा की आठवीं सीट पर मामला बहुत ही पेचीदा नजर आ रहा था। लेकिन ऐन वक्त पर जोड़तोड़ में माहिर भाजपा के शिल्पकारों ने ऐसी चाल चली कि समाजवादी पार्टी चारो खाने चित हो गई। अपने ही विधायकों द्वारा की गई क्रास वोटिंग और भाजपा की रणनीति से मात खाई सपा अब लोकसभा चुनाव में नये सिरे से मंथन करने को मजबूर हो गई है।
राज्यसभा चुनाव में भाजपा के सात सदस्य जीतकर आना तय था। यदि रालोद सपा के साथ होती तो भाजपा चुनाव में सात ही प्रत्याशी मैदान में उतारती। लेकिन रालोद के आने से उसके वोटों का गणित कुछ बेहतर हुआ तो सपा का गड़बड़ाया। इसी का फायदा उठाकर भाजपा ने ऐन वक्त पर आठवें प्रत्याशी के रूप में संजय सेठ को मैदान में उतार दिया। हालांकि तब भी मामला फंसा हुआ था।
ऐसे में भाजपा की तरफ से केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक के निर्देशन में सपा खेमे में सेंधमारी शुरू हुई। इसकी नींव तब पड़ी जब राज्यसभा प्रत्याशी के नाम घोषित होने पर सपा में बगावत शुरू हो गई। भाजपा ने इसी का फायदा उठाया और सपा के अंदर तोड़फोड़ की शुरूआत कर दी।
यह सारी रणनीति इतनी गोपनीय थी कि सोमवार रात तक भी अखिलेश यादव इससे लगभग अनजान थे। लेकिन मंगलवार सुबह ही उन्हें इसकी भनक मिलना शुरू हो गई। एक-एक करके मनोज पांडे सहित आठ विधायकों ने क्रास वोट किया। रही सही कसर गायत्री प्रजापति की पत्नी महाराजी प्रजापति ने मतदान में शामिल न होकर पूरी कर दी। इसके साथ ही बसपा के एकमात्र विधायक ने भी अंतिम समय में सपा के ताबूत में आखिरी कील ठोकते हुए संजय सेठ के पक्ष में मतदान किया।
लोकसभा चुनाव में पश्चिम से पूरब तक आएगा असर
समाजवादी पार्टी के आठ विधायकों की टूट के साथ ही पिछले दिनों रालोद के भाजपा में आने से लोकसभा चुनाव में पश्चिम से पूरब तक असर पड़ेगा। सपा विधायक मनोज पांडेय रायबरेली के कद्दावर नेता हैं। भाजपा के लिए रायबरेली सीट जीतना चुनौती है। मनोज पांडेय के समर्थन से पार्टी की स्थिति मजबूत हो सकती है। अमेठी में राकेश प्रताप सिंह सपा के बड़े चेहरे हैं। राकेश के भाजपा को समर्थन करने से अमेठी में पार्टी को फायदा होगा। उधर, भाजपा ने इस बार अंबेडकरनगर सीट पर परचम फहराने की रणनीति बनाई है। बसपा सांसद रितेश पांडेय भाजपा में शामिल हो गए हैं, उनके पिता राकेश पांडेय का भाजपा को समर्थन मिलने से अब अंबेडकरनगर में चुनावी राह आसान हो सकती है। वहीं अभय सिंह के भाजपा में आने से अयोध्या क्षेत्र में ठाकुर मतदाताओं का बिखराव रोकने में मदद मिलेगी। पूजा पाल का समर्थन मिलने से प्रयागराज में और विनोद चतुवेर्दी का समर्थन मिलने से जालौन में भाजपा को मदद मिलने की उम्मीद है।
वहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर, कैराना और बागपत सीट के साथ ही हाथरस सीट पर रालोद के विधायक भाजपा के पक्ष में पूरा माहौल बनाकर चुनावी राह आसन करेंगे। इसके अलावा रालोद मेरठ, बिजनौर, बुलंदशहर, मथुरा, जनपद की लोकसभा सीटों पर सपा गठबंधन के लिए पूरी तरह खतरा बनेगी।
अब नये सिर से तैयार करनी होगी रणनीति
भाजपा द्वारा यूपी में लगातार इस समय समाजवादी पार्टी को टारगेट किया जा रहा है। क्योंकि बसपा और कांग्रेस का जनाधार जहां लगभग खिसका हुआ है, तो सपा ही एकमात्र पार्टी भाजपा के सामने चुनौती पेश करने की स्थिति में है। ऐसे में अब जिस तरह सपा में भाजपा ने सेंधमारी की है, उसे देखते हुए लोकसभा चुनाव में सपा नेतृत्व को नये सिरे से अपनी रणनीति तैयार करनी होगी। हालांकि इसके लिए प्रयास शुरू भी हो गए हैं। आजमगढ़ का किला बचाने के लिए बसपा नेता शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को लखनऊ में सपा ज्वाइन कराई गई। क्योंकि उपचुनाव में शाह आलम ही सपा प्रत्याशी की हार का मुख्य कारण बने थे।