शारदा न्यूज़, मेरठ। चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी के राजनीतिक विज्ञान विभाग में दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन हुआ। सम्मेलन का मुख्य विषय भारतीय एवं पश्चिमी परिप्रेक्ष्य में मानवाधिकार था।
कार्यक्रम के पहले दिन बहुत से लोगों ने अपने विचार रखें और कई देश जर्मनी, फिलीपींस, इंडोनेशिया, थाईलैंड, नेपाल और तुर्की से कई विद्वान, स्कॉलर्स और स्नातक व परास्नातक के विद्यार्थी भारतीय और पश्चिमी दोनों दृष्टिकोण से मानवाधिकार की सूक्ष्म खोज पर एक अभूतपूर्व सम्मेलन के लिए सी°सी°एस° यूनिवर्सिटी में ऑनलाइन में ऑफलाइन दोनों माध्यमों के द्वारा एकत्रित हुए।
भारतीय और पश्चिमी परिप्रेक्ष्य में मानवाधिकार सम्मेलन शीर्षक वाले इस ऐतिहासिक आयोजन ने अंत: विषय संवाद के लिए सी°सी°एस° यूनिवर्सिटी के राजनीतिक विज्ञान विभाग द्वारा एक मंच प्रदान किया गया। जिससे इस विविध संस्कृति संदर्भों में मानवाधिकार से जुड़े जटिल मुद्दों की गहरी समझ को बढ़ावा मिला। राजनीतिक विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित सम्मेलन में समाजशास्त्र, राजनीतिक विज्ञान और मानवाधिकार वकालत व कानून के विशेषज्ञ एक साथ आए। उपस्थित लोग भारतीय और पश्चिमी दोनों समाजों के ढांचे के भीतर परंपरा, शासन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अंतर्संबंधों पर विचारोत्तेजक चर्चा में एक साथ एकत्रित हुए।
मुख्य आकर्षणों में से एक चर्चा की समावेशी प्रकृति थी, प्रत्येक सांस्कृतिक संदर्भ में विविधता को स्वीकार करना और सार्थक प्रगति के लिए सहयोग के महत्व पर जोर देना। सम्मेलन ने मानवाधिकारों को बनाए रखने के लिए एक साझा दृष्टिकोण की खोज में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य किया।
विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित वक्ताओं ने इन विशिष्ट सांस्कृतिक परिदृश्यों में मानवाधिकार के मुद्दों को संबोधित करते समय उत्पन्न होने वाली चुनौतियों और अवसरों पर बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान की। पैनल सत्रों में कानूनी ढांचे और ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य से लेकर समकालीन चुनौतियों और मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने में नागरिक समाज की भूमिका तक के विषयों को शामिल किया गया।
मुख्य वक्ता प्रो. हरबंस दीक्षित, पूर्व सदस्य, यूपीएचईएससी और डीन, तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय, मुरादाबादके ने एक आकर्षक मुख्य भाषण दिया, जिसमें अधिक समावेशी और न्यायसंगत वैश्विक समाज को आकार देने में अंतर-सांस्कृतिक संवाद के महत्व को रेखांकित किया गया।
अन्य मुख्य वक्ताओं के तौर पर सम्मेलन में श्री प्रफुल्ल केतकर, प्रोफेसर हीरामन तिवारी (अध्यक्ष, सेंटर फॉर ऐतिहासिक अध्ययन, जे.एन.यू., नई दिल्ली), प्रो. संजीव कुमार शर्मा ( निदेशक, अकादमिक एवं डीन, कला संकाय, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ) और प्रो.राजेंद्र कुमार पांडे ( विभागाध्यक्ष राजनीति विज्ञान, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ)।