- 1949 से नहीं था मालिकाना हक, दशकों की प्रतीक्षा हुई खत्म, दी गई गृहकर की रसीदें।
शारदा रिपोर्टर मेरठ। हस्तिनापुर कस्बे की पांडव नगरी में दशकों से रह रहे हजारों परिवारों के लिए गुरुवार ऐतिहासिक दिन साबित होने जा रहा है। नगर पंचायत अब इन परिवारों को आधिकारिक पहचान देने जा रही है। कस्बे के करीब 7400 परिवारों को गृह कर की रसीद दी जाएगी। इस दस्तावेज के साथ ये परिवार न सिर्फ कस्बावासी कहलाएंगे, बल्कि सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के भी पात्र बन जाएंगे।
नगर पंचायत चेयरपर्सन सुधा खटीक ने बताया कि 6 फरवरी 1949 को हस्तिनापुर को पुन: बसाने के बाद पाकिस्तान और अन्य स्थानों से बड़ी संख्या में हिंदू बंगाली और कई अन्य परिवार यहां आकर बसे थे। लेकिन इनके पास मकानों का मालिकाना हक साबित करने वाला कोई दस्तावेज नहीं था। यही वजह थी कि इन्हें मूल निवासी प्रमाण पत्र भी नहीं मिल पाया और सरकारी योजनाओं से भी वंचित रहना पड़ा। बिजली कनेक्शन जैसी बुनियादी सुविधा पाने के लिए भी इन्हें वर्षों तक संघर्ष करना पड़ा। यही कारण है कि पांडव नगरी के इन बाशिंदों की स्थिति अब तक बिना पहचान के रह गई थी।
चेयरपर्सन सुधा खटीक ने बताया कि नगर पंचायत ने इस समस्या को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने रखा था। मुख्यमंत्री से अनुमति मिलने के बाद नगर पंचायत ने अभियान चलाकर उन सभी परिवारों को चिह्नित किया, जिन्हें अब गृह कर की रसीद सौंपी जाएगी।
इससे पहले पिछले दस साल में यहां के केवल पांच परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिल पाया था। लेकिन अब जब हजारों परिवार गृह कर दायरे में शामिल हो जाएंगे तो ये सभी सरकारी योजनाओं के दायरे में आ जाएंगे। इसमें आवास, बिजली, पानी, पेंशन और अन्य सुविधाओं तक आसान पहुंच संभव हो जाएगी।
भव्य कार्यक्रम में हुआ वितरण
गुरुवार को नगर पंचायत की ओर से भव्य कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इसमें सभी 7400 परिवारों को गृह कर की रसीदें बांटी गई। इस मौके पर स्थानीय लोगों में खासा उत्साह नजर आया। दशकों से अपने ही घर में अवैध बाशिंदा कहलाने वाले लोग अब आधिकारिक रूप से कस्बे के नागरिक कहलाएंगे। कार्यक्रम में भाजपा के जिलाध्यक्ष संदीप प्रधान मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे। इस दौरान उन्होंने कहा कि अब यहां के लोग ही नहीं बल्कि उनकी संतान भी मालिक कहलाएंगी।