– धार्मिक कट्टरता और ब्रेन वॉश कर इन सभी को जोड़ा।
कानपुर। दिल्ली विस्फोट में पकड़ी गई डॉ. शाहीन के कानपुर में एक महिला विंग होने का खुलासा हुआ है। इसमें 19 से ज्यादा महिलाएं जुड़ी हुई थीं और शाहीन के लिए काम करती थीं। इन सभी की जांच-पड़ताल शुरू हुई तो सभी के मोबाइल स्विच आॅफ मिले हैं। यह सभी मोबाइल नंबर कानपुर और आसपास के जिलों में बंद हुए हैं। जांच एजेंसियों की मानें तो इन सभी महिलाओं को धार्मिक कट्टरता और ब्रेन वॉश करके शाहीन ने अपने ग्रुप से जोड़ा था। आखिर इन सभी महिलाओं का शाहीन क्या इस्तेमाल करने वाली थी, जांच एजेंसियां इसकी जानकारी जुटाने में लगी हुई हैं।
दिल्ली विस्फोट के बाद डॉ. शाहीन सईद का नाम आया तब सामने आया कि लेडी डॉक्टर जैश की महिला विंग जमात उल मोमीनात की इंडिया हेड का जिम्मा संभाल रही थी। दावा किया जा रहा है कि उसका टारगेट ही यही था कि भारत में महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा आतंकी ग्रुप में जोड़ा जाए। इसी क्रम में जब जांच करते-करते एटीएस और एनआईए की टीम कानपुर पहुंची तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ।
सिर्फ कानपुर में ही शाहीन की महिला विंग से 19 महिलाएं जुड़ी हुई थीं। शाहीन इज्तिमा जैसे धार्मिक आयोजन में जाती थी। उसके बेकनगंज, जाजमऊ, चकेरी, रावतपुर गांव आदि मुस्लिम इलाकों में उसका मूवमेंट था। उसने धार्मिक कट्टरता और ब्रेन वॉश करके इन महिलाओं को अपनी विंग में शामिल किया था। इसी ग्रुप के जरिए वह अपने मंसूबों का प्रचार प्रसार करती थी।
जांच एजेंसियों को इनके स्लीपर सेल होने का शक है। इसी कड़ी में हो रही जांच में मोबाइल नंबर खंगाले गए तो वह बंद मिले। अंतिम लोकेशन में मोबाइल नंबर फतेहपुर, कन्नौज ओर उन्नाव में बंद होने की जानकारी सामने आ रही है। सूत्र बताते हैं कि कट्टरपंथ की आड़ में शाहीन लेडी विंग की स्लीपर सेल को देश विरोधी गतिविधियों के लिए तैयार कर रही थी।
महिला होने के चलते इन पर जल्दी कोई शक भी नहीं करता है। खास तौर पर रेकी करने के लिए इन महिला स्लीपर सेल का इस्तेमाल किया जाता था। सूत्र सुरक्षा एजेंसियों को कुछ संदिग्ध महिलाओं के फुटेज मिलने की बात भी बता रहे हैं। इन फुटेज की मदद से इनकी तलाश की जा रही है।
शाहीन की अरेस्टिंग होते ही बंद हुए मोबाइल
शाहीन के पास से उसकी महिला विंग या स्लीपर सेल्स के जो नंबर मिले हैं, अब वो बंद हो चुके हैं। बताया जा रहा है कि शाहीन की गिरफ्तारी के कुछ घंटों के बाद ही वह नंबर बंद हो गए थे। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि 19 महिला स्लीपर सेल्स ने पुराने नंबर बंद करके नए मोबाइल या सिम लिए होंगे। लिहाजा खुफिया एजेंसियों ने सिम बेचने वाली कंपनियों से 10 नवंबर के बाद बिके सिमों की डिटेल मांगी है। इसे फिल्टर कर कुछ इनफार्मेशन कलेक्ट करने का प्लान बनाया गया है।
एटीएस और एनआईए की कानपुर में गोपनीय जांच जारी
कानपुर में शाहीन और लखनऊ में परवेज के संपर्कों की तलाश शुरू हुई तो कई नाम और मोबाइल नंबर सामने आए। इसी के चलते स्पेशल सेल ने डॉ. आरिफ को भी उठाया। लेकिन अब जांच एजेंसियों के हाथ कोई और संदिग्ध नहीं लग सका है। सूत्र बताते हैं के पिछले दो दिनों में एटीएस ने कानपुर में पांच जगह छापेमारी की। हालांकि कोई संदिग्ध उनके हाथ नहीं लगा है। सूत्रों के मुताबिक जम्मू-कश्मीर पुलिस से ही एटीएस को पता चला था कि डॉ. शाहीन दो महीना पहले लखनऊ गई थी। उसके मददगार चारबाग होटल में रुके थे। उसके बाद यह लोग डॉ. शाहीन व डॉ. परवेज के साथ कानपुर आए थे। इस मामले में एटीएस ने जांच शुरू की लेकिन कोई ठोस साक्ष्य एजेंसियों के हाथ नहीं लगे। सूत्रों ने बताया कि शाहीन से मिली जानकारी के बाद एटीएस ने दो दिनों में बेकनगंज और जाजमऊ में पांच जगहों पर छापेमारी की। जिन संदिग्धों की जानकारी शाहीन ने दी थी, वह लोग उन्हें नहीं मिले।
दिल्ली विस्फोट में यूज हुए कानपुर के सिम
दिल्ली विस्फोट में कानपुर का कनेक्शन पहले ही सामने आ चुका है। अब उसकी परतें धीरे-धीरे खुल रही हैं। सूत्र बताते हैं कि एजेंसियों को नई जानकारी मिली है। दिल्ली विस्फोट में कानपुर से जारी सिम का यूज हुआ था। डॉ. उमर ने आत्मघाती हमले से पहले कुछ लोगों से बात की इसके बाद मोबाइल बंद कर लिया। जांच एजेंसियों ने बीटीएस (बेस ट्रासीवर स्टेशन) का डाटा निकाला जिसमें कानपुर से जारी मोबाइल नंबर मिले हैं। इन नंबरों की जांच में एटीएस कानपुर भी आ चुकी है। उमर की कॉल डिटेल में भी कई संदिग्ध नंबर मिले हैं, जो अब बंद बताए जा रहे हैं। जांच एजेंसियों को पता चला है कि दिल्ली में हुए विस्फोट में यूज किए गए सिम कानपुर के बेकनगंज से खरीदे लिए गए थे। हालांकि अभी इसकी जांच चल रही है।



