शारदा न्यूज, रिपोर्टर
मेरठ। जनपद में 15 स्थानों पर किसानों के लिए बनवाई गई मिनी मंडी अभी तक नहीं खुल पाई है। इस कारण सरकारी खजाने से तैयार की गई सभी मिनी मंडियों की बिल्डिंग जर्जर होती जा रही है। अब दुकानों के किराये को लेकर मंडी समिति और सहकारिता विभाग में खींचतान शुरू हो गई है। बताया जा रहा है कि सहकारिता विभाग को हैंडओवर की प्रक्रिया चल रही है। शीघ्र ही इस पर फैसला होने की उम्मीद है।
उप्र की पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार के समय किसानों को अपने गांवों के करीब ही फसल बेचने के लिए मिनी मंडी खोली गईं थीं। यहां किसान अपनी फसल जैसे गेहूं, धान, सब्जी बेच सकते थे। इसे लेकर जिले के इंचौली, मसूरी, फफूंडा, हसनपुर कलां, खंदरावली, भटीपुरा, नंगलाशाहू, रजपुरा, रामपुर गोहारिया, सनोता, सैफपुरकर्मचंद, ईकड़ी, सलावा और रार्धना में चार से पांच दुकानें और शेड बनाकर मिनी मंडी बनाई गई।
छह लाख रुपये में काफी दुकानें नीलाम भी की, लेकिन मंडी समिति प्रशासन द्वारा मिनी मंडी खोलने की दिशा में कोई कार्रवाई नहीं करने से इन दुकानों पर ताले लटके हुए हैं। नीलामी में दुकानें लेने वाले लोग भी खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।
मंडी समिति सचिव विजिन कुमार ने बताया कि इस समय मिनी मंडियों का संचालन नहीं किया सकता। सभी मिनी मंडियां सहकारिता विभाग की भूमि पर हैं। ऐसे में सहकारिता विभाग इन दुकानों से किराया वसूलेगा। हैंडओवर की प्रक्रिया चल रही है।
सहकारिता विभाग मिनी मंडी के रूप में विकसित की गई बिल्डिंग का उपयोग अन्य योजनाओं में करेगा। जमीन हमारी है, इसलिए किराया वसूली भी हमें ही करनी है। हमने मंडी समिति से मिनी मंडियों का रिकॉर्ड मांगा है। – दीपक, एआर कोआपरेटिव