– सर्किट हाउस में आयोजित पत्रकार वार्ता में राज्यसभा सांसद डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने दी जानकारी।
शारदा रिपोर्टर मेरठ। वन्दे मातरम केवल एक गीत नहीं, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम का ध्येय वाक्य है। यह गीत संकल्प के समय भारत राष्ट्र की ऊर्जा का स्त्रोत है। यह बातें गुरुवार को राज्यसभा सांसद डॉक्टर लक्ष्मीकांत वाजपेई ने सर्किट हाउस में प्रेसवार्ता के दौरान कही।
उन्होंने बताया कि,1875 में बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय ने इस गीत को लिखा और 1986 में गुरुदेव रविन्द्रनाथ टैगोर द्वारा कलकत्ता में इसे प्रथम बार गाया गया। स्वतंत्रता संग्राम में जय का उद्घोष है। लेकिन, ब्रिटिश शासन द्वारा इस पर प्रतिबन्ध लगाया गया। उन्होंने कहा कि, सात नवंबर को हमारे राष्ट्र गीत वंदे मातरम की रचना को 150 साल पूरे हो रहे हैं। इस मौके पर भारतीय जनता पार्टी ने वंदे मातरम 150 अभियान का आयोजन किया है। इस दौरान प्रदेश में भी 150 स्थानों पर वंदे मातरम का वाचन होगा।

राज्यसभा सांसद डॉक्टर लक्ष्मीकांत वाजपेई ने अभियान की जानकारी देते हुए कहा कि, ‘वंदे मातरम’ वह राष्ट्रगीत है, जिसने आजादी के आंदोलन के दौरान लाखों भारतीयों को देशभक्ति, त्याग और मातृभूमि के प्रति समर्पण की भावना से ओतप्रोत किया। सात नवंबर, 2025 को बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित ‘वंदे मातरम’ अपनी रचना के 150 वर्ष पूर्ण हो रहे है। भाजपा इस गीत की वर्षगांठ को देश और प्रदेश में उत्सव के रूप में मनाने जा रही है।
उन्होंने कहा कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विकास के साथ ही विरासत को संजोने का कार्य कर रहे हैं। 1923 में काकीनाड़ा कांग्रेस अधिवेशन में पडित विष्णु दिगम्बर को यह गीत गाने के लिये आमंत्रित किया गया। लेकिन तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष मौलाना अली ने इसका विरोध किया और इस्लाम में धार्मिक आधार पर गीत गाना वर्जित बताया। जबकि, मुस्लिम लीग के दबाव में 1937 ने कांग्रेस ने अधिकारिक रूप से इसको बदलने का निर्णय लिया।
इतना ही नहीं, समय समय पर विभिन्न मंचों से कांग्रेस के नेताओं ने इस गीत के प्रति असहिष्णुता भी दिखाई। निर्वाचित सदनों में भी इसके गायन पर शुरू में विरोध हुआ। जबकि, मेरठ नगर निगम भी इसका विरोध करना एक उदाहरण है।
डा लक्ष्मीकांत वाजपेई ने बताया कि, अकबरूद्दीन औवेसी ने 2017 में यह मांग की थी कि स्कूलों में वंदे मातरम की अनिवार्यता के शासनादेश को निरस्त किया जाये। जिसके चलते 2019 में मध्य प्रदेश की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने सचिवालय में इसके गायन पर प्रतिबन्ध लगा दिया। लेकिन, एक अक्टूबर को पीएम मोदी के नेतृत्व में केन्द्रीय मंत्री मंडल ने वन्दे मातरम् के 150वर्ष पूर्ण होने पर इसे उत्सव के रूप में मनाने और राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम करने का निर्णय लिया है। जिसके अन्तर्गत विभिन्न कार्यक्रम प्रस्तावित किये गये है। जिनमें 8 से 15 नवम्बर तक जिला मुख्यालयों पर सामुहिक वन्दे मातरम् गायन आयोजित किया जाएगा।
विधानसभा स्तर पर सांसद और विधायक के नेतृत्व में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। जबकि, मण्डल स्तर पर वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में सामुहिक रूप से वन्दे मातरम् गायन किया जाएगा। इसके अलावा तिरंगा यात्रा, प्रभात फेरी, बाईक रैली के आयोजन और जनप्रतिनिधियों की भागीदारी मुख्य रूप से देखी जाएगी। राज्य एवं जिला स्तर पर विद्यालयों में निबन्ध, कविता और चित्रकला प्रतियोगिता और सामुहिक गायन होगा।
उन्होंने कहा कि, इस आयोजनों का मुख्य उद्देश्य आज के युवा भारत एवं नई पीढ़ी को स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और वन्दे मातरम् गीत के प्रति उनकी प्रतिबद्धता से परिचित कराना है। हंसते-हंसते वन्दे मातरम् कहकर फांसी का फन्दा चुमने की भावना से भी युवा पीढ़ी को परिचित कराना है और इसका विरोध करने वाले कौन से तत्व है, उनके कृत्यों से परिचित कराना है।

इस दौरान महानगर अध्यक्ष विवेक रस्तोगी, सांसद अरुण गोविल, विधायक अमित अग्रवाल, महापौर हरिकांत अहलूवालिया, एमएलसी धर्मेंद्र भारद्वाज, महानगर महामंत्री महेश बाली आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे।



