मेरठ। पश्चिमी उप्र के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज में जल्द ही मरीजों को यूरोलॉजी और गैस्ट्रोएंटरोलॉजी चिकित्सा सुविधाएं मिलने वाली है। मेडिकल में दोनों विभागों की तैयारी शुरू हो गई है। कॉलेज के प्राचार्य की ओर से शासन को प्रस्ताव भेज दिया है। इन दोनों बीमारियों से संबंधित दो लाख से ज्यादा मरीज हर साल यहां आते हैं।
प्राचार्य डॉ. आरसी गुप्ता के अनुसार ने तहत दोनों विभागों के लिए तीन-तीन प्रोफेसर डॉक्टर और 60-60 पैरामेडिकल स्टाफ चाहिए। दोनों विभागों के लिए डॉक्टर हैं, पैरामेडिकल स्टाफ की दरकार रहेगी। बिल्डिंग का सेटअप है, यह अलग से बनानी नहीं पड़ेगी। सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में रेडियोथैरेपी के लिए विभाग बना हुआ है। इस विभाग में यूरोलॉजी शुरू की जा सकती है, जबकि रेडियोथैरेपी का जो पुराना सेटअप पुरानी बिल्डिंग में है। इसे उसमें ही चलाया जा सकता है। यूरोलॉजी यानी मूत्र रोग विज्ञान आयुर्विज्ञान की वह शाखा है, जो जननांग के रोगों का ज्ञान कराती है। जबकि गैस्ट्रोएंटरोलॉजी (जठरांत्र रोग विज्ञान चिकित्सा शास्त्र) में पाचन तंत्र की बीमारियों और विकारों का उपचार होता है। इसमें पेट, अन्नप्रणाली, छोटी आंत, अग्न्याशय, बड़ी आंत, यकृत और पित्ताशय शामिल हैं।
प्राचार्य का यह भी कहना है कि बर्न यूनिट की पुरानी बिल्डिंग में गैस्ट्रोएंटरोलॉजी का सेटअप तैयार किया जा सकता है। अभी तक यूरोलॉजी के जो मरीज आते हैं। इनमें से कुछ का सर्जरी विभाग में उपचार कर दिया जाता है। अधिकांश को सर्जरी के लिए दिल्ली रेफर कर दिया जाता है। आयुष्मान के तहत भी सबसे ज्यादा सर्जरी यूरोलॉजी में ही हैं। आयुष्मान योजना के तहत यूरोलॉजी में 161 तरह की सर्जरी रखी गई हैं। उन्होंने बताया कि प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है उनकी अनुमति का इंतजार है।