Friday, April 25, 2025
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कोर्ट के 15% फीस वापसी के आदेश का पालन कराये यूपी सरकार: जीपीए

  • जीपीए की अपील निजी स्कूलों से 15℅ फीस वापस ले अभिभावक

शारदा न्यूज़, मेरठ। गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन ने कोर्ट के 15 प्रतिशत फीस वापसी के आदेश को पालन कराने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार से गुहार लगाई है। गौर करने वाली बात यह है कि कोर्ट के आदेश को आये लगभग 10 महीने बीत गये है उसके बाद भी कोरोना काल मे शिक्षा सत्र 2020-21 की 15 % फीस निजी स्कूलों द्वारा पेरेंट्स को वापस नही की गई है। जबकि यूपी सरकार ने 16 फरवरी को प्रदेश के सभी जिलों के जिलाधिकारी और जिला विद्यालय निरीक्षक को 15% फीस वापस कराने के निर्देश दिए थे। हालांकि ये आदेश कागजी साबित हुये।

गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष सीमा त्यागी का कहना है निजी स्कूलों द्वारा 15 प्रतिशत फीस वापसी पर रोक लगाने के लिये सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। जिस पर उच्च न्यायालय द्वारा निजी स्कूलों को 2020-21 में स्कूल छोड़ चुके विद्यार्थियों की 15 % फीस वापस करने पर 6 हफ्ते का स्टे देकर 4 साल की बैलेंस शीट, टीचर्स की सैलरी और खर्चो का ब्यौरा मांगा गया था। साथ ही जो विद्यार्थी वर्तमान में स्कूल में पढ़ रहे है उनको फीस समायोजित अथवा रिफण्ड करने के निर्देश दिए थे। अब 9 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में निजी स्कूलों को बड़ा झटका लगा क्योंकि उच्च न्यायालय ने प्रदेश के निजी स्कूलों को 2020-21 में स्कूल छोड़ चुके विद्यार्थियों की फीस वापस करने का रास्ता भी साफ कर दिया गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने केवल तीन स्कूलो को राहत दी है जिन्होंने अपनी 4 साल की बैलेंस शीट और खर्चो को ब्यौरा दिया है। हालांकि इन स्कूलों द्वारा भी आधी अधूरी बैलेंस शीट जमा की गई है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा एस. एल.पी दाखिल करने वाले निजी स्कूलों से 4 साल की बैलेंस शीट और खर्चो का ब्यौरा मांगने पर यह स्कूल खुद अपने ही बुने जाल में फंस गये। क्योंकि बैलेंस शीट जमा करते ही इन निजी स्कूलों के पास करोड़ो रूपये के सरप्लस फण्ड का कच्चा चिट्ठा उच्च न्यायालय की गिरफ्त में होगा जो निजी स्कूल कभी नही चाहेंगे। अब प्रदेश के निजी स्कूलों के पास कोई चारा नही है, इन्हें पेरेंट्स की 15% फीस वापस करनी ही होगी।

गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन प्रदेश के मुखिया और जिले के अधिकारियों से अनुरोध करती है कि बिना विलंब किये अभिभावको की 15% फीस वापस कराये। जिससे अभिभावकों को आर्थिक राहत मिल सके।

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