- तमाम निर्माण सहित अटके हैं मरम्मत के काम।
शारदा रिपोर्टर मेरठ। कैंट बोर्ड ने सैन्य क्षेत्र को छोड़कर सिविल क्षेत्र को नगर निगम में शामिल करने की योजना बनाई। इस बाबत रक्षा मंत्रालय ने कैंट बोर्ड को एक लेटर भी भेजा। इसके लिए सात सदस्यीय कमेटी भी गठित की गई थी। इसमें रक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव और कैंट बोर्ड के अध्यक्ष और मुख्य अधिशासी अधिकारी शामिल है। गौरतलब है कि तत्कालीन सीईओ ज्योति कुमार ने सिविल क्षेत्र के बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट भी प्रस्तुत की थी। अब इस प्रक्रिया को एक साल से ज्यादा का समय पूरा हो चुका है। बावजूद इसके यह प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकी है। रक्षा मंत्रालय की ओर से तीन जनवरी 2024 को मीटिंग हुई थी। अब इसके लिए 18 जनवरी 2025 को मीटिंग होनी है, लेकिन अब तक कोई प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ रही है।
कैंट बोर्ड के अंतर्गत सिविल क्षेत्र लगभग 478 एकड़ में है। करीब 11,500 संपत्तियां सिविल क्षेत्र में हैं। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की आबादी 94 हजार थी। जो अब बढ़कर 1.25 लाख के करीब पहुंच चुकी है। जिनमें सिविल क्षेत्र में सदर बाजार, आबूलेन, आरए बाजार तोपखाना, लालकुर्ती और रजबन बाजार आते हैं। बकरी मोहल्ला, घोसी मोहल्ला, हंडिया मोहल्ला, मैदा मोहल्ला, जामुन मोहल्ला, कबाड़ी बाजार, चाणक्यपुरी, पटेलपुरी, रविंद्रपुरी, गंज बाजार, तहसील कंपाउंड, अलीमपुरा, दालमंडी, स्वराजपुरी, धर्मपुरी, चौक बाजार,रंजीतपुरी, दुगार्बाड़ी, टंडेल मौहल्ला, शिवाजी कालोनी, हर्षपुरी और जुबलीगंज आदि मोहल्ले भी नगर निगम में शामिल हो सकते हैं। सैन्य क्षेत्र को छोड़कर सिविल क्षेत्र के सभी मोहल्लों को शामिल करने की तैयारी है।
यह होगा फायदा: कैंट के सिविल क्षेत्र के निवासी भूमि का उप विभाजन और उद्देश्य परिवर्तन की वजह से नाम परिवर्तन नहीं करा पाते हैं। निगम में शामिल होने पर आसानी से नाम परिवर्तन होंगे
ओल्ड ग्रांट नीति की शर्तों के उल्लंघन के चलते मकानों के नक्शे स्वीकृत नहीं होते हैं। इस वजह से लोग मकान का विस्तार नहीं कर पाते हैं। वे अवैध निर्माण करते हैं। निगम में आने पर नक्शे आसानी से स्वीकृति होंगे। नगर निगम में शामिल होने पर यहां के लोगों को बैंकों से लोन मिलना आसान हो जाएगा। इससे यहां रहने वाले लोग नए अवसर तलाश सकेंगे। कैंट के सिविल क्षेत्र में रहने वाले लोगों के रुके हुए बैनामे शुरू हो जाएंगे। इससे राजस्व की वृद्धि होगी। मकान के स्वामित्व का अधिकार भवन स्वामी को मिलेगा। भवन निर्माण में कैंट बोर्ड के नियमों की बाधा दूर होगी। जबकि, अमृत योजना, स्वनिधि योजना समेत शासन की अन्य विकास परक योजनाओं का लाभ कैंट बोर्ड के सिविल क्षेत्र के लोगों को भी मिलने लगेगा। निगम में कैंट बोर्ड का सिविल क्षेत्र शामिल होते ही संपत्तियों के दाम बढ़ेंगे। आबूलेन, सदर, लालकुर्ती क्षेत्र के लोगों को फायदा होगा।
रक्षा मंत्रालय से पहले पत्र आया था, सात सदस्यीय कमेटी बनाई थी। कमेटी ने रिपोर्ट भी भेजी है। 18 जनवरी को वीडियो कांफ्रेंस में सिविल एरिया के बारे में विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया था। अभी इस मीटिंग बारे में हमें अभी तक कोई लेटर नहीं मिला है। – जाकिर हुसैन, सीईओ कैंट बोर्ड।