– विपक्ष करेगा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन से लेकर भीड़ तक का आकलन
अनुज मित्तल (समाचार संपादक)
मेरठ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूं तो मेरठ में पहले भी चार बार आ चुके हैं। लेकिन इस बार का रण ज्यादा अहम है। 400 पार का नारा देकर उन्हें देश की सियासत में भूचाल ला दिया है। बात अगर विपक्ष की करें तो यूपी में इस बार भाजपा पिछले चुनाव की तुलना में ज्यादा मजबूत है। लेकिन किसान, व्यापारी और युवाओं की नाराजगी कितना असर दिखाएगी यह बात अलग है।
भाजपा देश में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के साथ ही इस बार रिकार्ड सांसदों के साथ सरकार बनाने की तैयारी में जुटी है। लेकिन विपक्ष भी पूरी तरह भाजपा के इन मंसूबों के बीच खड़ा है। दिल्ली के सिंहासन का सफर यूपी से तय होता है। ऐसे में यूपी के भीतर चुनाव बहुत अहम है, क्योंकि लोकसभा की सबसे ज्यादा 80 सीटें उत्तर प्रदेश में ही हैं। 2014 में भाजपा ने गठबंधन के साथ मिलकर यूपी में 72 सीटें जीती थी। लेकिन 2019 में ये घटकर 65 रह गई। इस बार कितनी सीटें आएंगी, इस पर सबकी नजर है।
हालांकि इस बार भाजपा को रालोद का साथ मिला है, तो पश्चिम में उसकी राह पहले से ज्यादा आसान नजर आ रही है। वैसे भी रालोद को अमूमन सबसे ज्यादा भाजपा का साथ ही रास आया है। 2009 के लोकसभा चुनाव में चौधरी जयंत सिंह भाजपा गठबंधन में ही मथुरा से सांसद निर्वाचित हुए। रालोद को भाजपा ने सात लोकसभा सीटें दी। इनमें मुजफ्फरनगर और नगीना को छोड़कर रालोद ने बागपत, हाथरस, मथुरा, अमरोहा और बिजनौर लोकसभा सीट पर जीत हासिल की।
हालांकि भाजपा का वर्तमान में नगीना, बिजनौर और अमरोहा सीट को छोड़कर बाकी सभी सीटों पर कब्जा है। यही कारण है कि भाजपा ने रालोद को इस बार मात्र दो सीटें ही दी हैं। लेकिन यह तय है कि इन दो सीटों के बदले भाजपा ने रालोद से हाथ मिलाकर अपनी मुजफ्फरनगर, मेरठ, कैराना, नगीना, सहारनपुर, अमरोहा, बुलंदशहर, गाजियाबाद, नोएडा, मुरादाबाद, रामपुर, मथुरा, हाथरस आदि कई सीटों पर राह आसान कर ली है।
नरेंद्र मोदी पिछले दो लोकसभा और दो विधानसभा चुनाव की तरह इस बार भी मेरठ से ही यूपी के चुनाव का श्रीगणेश करने जा रहे हैं। क्योंकि मेरठ पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति का केंद्र है। ऐसे में यहां से उठने वाली लहर और जाने वाला संदेश पूरी यूपी में माहौल तय करता है। ऐसे में कल होने वाली रैली में सबकी नजर इस बात पर रहेगी कि नरेंद्र मोदी के संबोधन में विकास कार्यों को छोड़कर युवाओं और किसानों के लिए क्या होगा? क्योंकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश का युवा अग्निवीर योजना से नाराज है, तो किसान एमएसपी के साथ ही गन्ना रेट और भुगतान के वही पुराने रवैये को लेकर नाराज है।