- नगर निगम की शहर में आधे से ज्यादा दुकानों को किराएदार बेचकर कमा चुके हैं मोटा मुनाफा।
शारदा रिपोर्टर मेरठ। शहर में नगर निगम की दुकानों में आवंटियों द्वारा खेल किया जा रहा है। नगर निगम ने जिन्हें दुकानें किराए पर आवंटित की थी, उन आवंटियों ने मुनाफा कमाने के लिए खुद मालिक बनकर निगम की दुकानें बेच डाली और अब किराएदारी सिर्फ कागजों में चल रही है।
शहर में नगर निगम की दुकानों में आवंटियों द्वारा खेल किया जा रहा है। नगर निगम ने जिन्हें दुकाने किराए पर आवंटित की थी, उन आवंटियों ने मुनाफा कमाने के चक्कर में दुकानों को दूसरे को बेच दिया। नगर निगम की शहर में करीब 913 दुकानें हैं। घंटाघर पालिका बाजार की बात करें, तो वहां निगम की 185 दुकानें हैं। इनमें आधे से ज्यादा दुकानें आवंटियों ने दूसरों को बेच दी हैं।
ऐसा ही भगत सिंह मार्केट में भी है, यहां पर भी नगर निगम की दुकानों को मूल आवंटी मात्र 100 रुपये के स्टांप पेपर पर बेचकर जा चुके हैं, और दूसरे दुकानदार उनके नाम आवंटित किरायेदारी से अपना रोजगार चला रहे हैं।
इन सभी बेची गई दुकानों में आज भी मूल किरायेदार के नाम से ही निगम में दुकान का किराया जमा किया जा रहा है। ऐसे भी मामले सामने आए हैं कि एक दुकान जो आवंटित की गई, उसे मूल आवंटी ने बीच में दीवार कर दो दुकानें बनाकर बेच दिया। नगर निगम बोर्ड ने सिकमी किराएदारों के लिए प्रस्ताव पास किया था। प्रस्ताव पास होने के बाद भी आज तक कोई गजट या नोटिफिकेशन नहीं किया गया।
कई बार सिकमी किराएदारों का मुद्दा नगर निगम बोर्ड बैठक में पार्षदों द्वारा उठाया जा चुका है, लेकिन नगर निगम के अधिकारी सिकमी किराएदारों के लिए बोर्ड बैठक में प्रस्ताव पास किया गया था उसी आधार पर इसे सही मानकर चल रहे हैं।
यह है नियम: नगर निगम अपनी दुकानें किराये पर देता है। नियम यह है कि अगर यह किरायेदार दुकान खाली करेगा तो निगम को वापस लौटाएगा। मूल किरायेदार को आगे यह दुकान किसी अन्य को देने का अधिकार नहीं है। मूल किरायेदार खुद ही दुकान किसी अन्य को दे देता है, तो नए किरायेदार को सिकमी कहा जाता है। किरायेदार किसी दूसरे को अपने कारोबार में तो साझीदार बना सकता है पर दुकान में नहीं।
दुकान खरीद फरोख्त का मामला संज्ञान में आया है, कुछ पार्षदों ने इसको लेकर आपत्ति दर्ज कराई है। दुकानों की पत्रावली मांगी गई है। जांच करायी जाएगी, कहीं कोई कमी मिलती है तो दुकान का आवंटन निरस्त कर दोबारा आवंटन किया जाए। – शरद पाल, सहायक नगर आयुक्त।