काठमांडू में हुई अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में मेरठ की भागीदारी

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  • कृषि पर्यावरण और जीव विज्ञान के वैश्विक संदर्भ पर हुई चर्चा।

शारदा रिपोर्टर

मेरठ। नेपाल के काठमांडू स्थित डीएवी कॉलेज में तीन दिवसीय कृषि पर्यावरण और जीव विज्ञान के वैश्विक संदर्भ में भविष्य विषय पर 7वीं अंतरराष्ट्रीय कान्फ्रेंस संपन्न हुई। इस महत्वपूर्ण कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन डी ए वी कॉलेज (त्रिभुवन विश्वविद्यालय) के डॉ. अनिल केडिया व नेपाल के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रोफेसर एस पी विष्टा के साथ की दीप प्रज्वलन एवं दोनों देशों के राष्ट्रगान के साथ किया गया। कॉन्फ्रेंस में भारत, नेपाल और अन्य विभिन्न देशों से वैज्ञानिकों ने अपने अनुसंधान प्रस्तुत किए जिनमें 365 मौखिक और 280 पोस्टर शोधपत्र शामिल थे।

 

 

कॉन्फ्रेंस के आयोजन की मुख्य उद्देश्य वैश्विक परिवेश में हो रही विभिन्न पर्यावरण संबंधी समस्याओं के साथ-साथ तेजी से बदलते हुए मौसम में परिवर्तन के प्रभावों पर चर्चा करना था। कॉन्फ्रेंस की अध्यक्षता डॉ. अनंत कुमार (एटीडीएस) ने की और अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस के आर्गनाइजिंग चैयरमैन प्रोफेसर अमर गर्ग और डॉ. जोगेंद्र सिंह ने जलवायु परिवर्तन के संकट में पर्यावरण संरक्षण के साथ कृषि उत्पादन में बदलाव पर ध्यान दिया।

कॉन्फ्रेंस के दौरान भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र, जूलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरीज एजुकेशन मुंबई, उत्तर प्रदेश के वन विभाग के साथ भारत के 24 राज्यों से विश्वविद्यालय एवं कॉलेजों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति रही।

कॉन्फ्रेंस के दौरान वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन के वैश्विक संकट में पर्यावरण संरक्षण के साथ कृषि उत्पादन में बदलाव के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का कृषि क्षेत्र में उपयोग, पर्यावरण अनुकूलन बहुकृषि व्यवस्था, और सिंचाई प्रक्रिया में सुधार पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर दिया।

इस कॉन्फ्रेंस का उद्देश्य सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल (एसडीजी) के साथ-साथ कृषि एवं जैव वैज्ञानिक विषयों में अंतर्विषयक अध्ययन और अनुसंधान के अवसरों को तलाशना था। इसके अंतर्गत कानून, रसायन, भूगोल आदि के अंतर्गत अनुसंधान के अवसरों की भी चर्चा की गई। कॉन्फ्रेंस में भारत और नेपाल के योगदान को लेकर भी विचार-विमर्श किया गया, ताकि विश्व कल्याण की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकें।

इस महत्वपूर्ण अवसर पर विभिन्न वैज्ञानिकों के कार्यों को सम्मानित किया गया और उनके शोध पत्रों को पुरस्कृत किया गया। कॉन्फ्रेंस के अंतिम सत्र में प्रोफेसर डॉ. अमर प्रकाश गर्ग ने तीन दिनों के दौरान प्रस्तुत किए गए शोध पत्रों, पोस्टर्स, और संपूर्ण सम्मिलन की समीक्षा की। निष्कर्ष के रूप में उन्होंने कहा कि भारत और नेपाल जैव कृषि और पर्यावरण संरक्षण हेतु मिलकर काम करने के प्रति वचनबद्ध हैं और भविष्य में भी सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स को प्राप्त करने हेतु एकजुट रहेंगे।
इस सम्मेलन ने सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल के साथ-साथ कृषि एवं जैव वैज्ञानिक विषयों पर अन्तर्वेषक अध्ययन और अन्य संबंधित विषयों पर भी गहरी चर्चा की।

कॉन्फ्रेंस के अंतिम सत्र में प्रोफेसर डॉ. अमर प्रकाश गर्ग ने उपस्थित वैज्ञानिकों के कार्य को सम्मानित किया और भविष्य में भी भारत और नेपाल के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण हेतु साझी मेहनत जारी रखने का संकल्प लिया।

स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविधालय के डॉ. वैभव गोयल भारतीय, डॉ. देवपाल सिंह और डॉ. प्रिया राय जैसे विशेषज्ञों ने भी काठमांडू में अपने अनुभवों को साझा किया।

इस कॉन्फ्रेंस ने वैज्ञानिक समुदाय के बीच सहयोग और विश्व के सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल को प्राप्त करने हेतु महत्वपूर्ण कदम उठाने का अवसर प्रदान किया।

पूरी कॉन्फ्रेंस को सफल बनाने में डी ए वी कॉलेज काठमांडू से आईटी विभाग और सुभारती विश्वविद्यालय से डॉ अंजू रानी डॉ निशा राणा के साथ एटीडीएस समिति से डॉ अश्वनी कुमार का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

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