ज्यादा बरसा पानी, तो बढ़ जाएगी परेशानी !

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शारदा रिपोर्टर मेरठ। मेरठ में मानसून जहां दस्तक देने लगा है, तो वहीं ऐसे में पहली बारिश में ही शहरवासियों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। नगर निगम भले ही शहर के अधिकांश नालों को साफ करने का दावा कर रहा हो, लेकिन अभी भी नालों में गंदगी और सिल्ट भरी पड़ी है। जो स्वच्छ भारत अभियान को पलीता लगाती दिखाई दे रही। जिसको देखकर साफ कहा जा सकता है कि आने वाले में शहर वासियों को फिर एक बार जल भराव की समस्या से गुजरना पड़ेगा।

 

– गन्दगी से अटा पड़ा सुभाष नगर का नाला

 

दरअसल मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार मानसून दस्तक देने को है। मौसम विभाग ने जल्द ही मानसून की भविष्यवाणी की है। लेकिन शहर के नाले साफ नहीं हुए हैं। मेरठ महानगर में तीन बड़े और 311 छोटे नालों का जाल है।

नगर निगम ने 25 साल से बंद पड़े 18 नालों की सफाई से भी हाथ खड़े कर लिए हैं। एक सप्ताह पूर्व जाटव गेट, थापर नगर, हनुमानपुरी, माधवपुरम ग्रीन बेल्ट, बंसल सिनेमा और मेरठ पब्लिक एकेडमी से रेलवे रोड होते हुए ईदगाह रोड तक छह नालों की सफाई की गई थी।

 

– गन्दगी से अटा पड़ा NAS कॉलेज के सामने वाला नाला

 

लेकिन अभी भी शहर के अधिकांश छोटे-बड़े नाले गंदगी और सिल्ट से भरे पड़े हैं, जो आने वाले मानसून में लोगों के लिए परेशानी का सबक बनेंगे। हालांकि, नगर आयुक्त डॉ. अमित पाल शर्मा ने मानसून को देखते हुए सबसे पहले शहर के नालों की सफाई को प्राथमिकता बताते हुए सफाई कराने के निर्देश दिए थे।

जबकि, निगम के अधिकारियों ने शहर के 80 प्रतिशत नालों की सफाई का दावा कर शासन को रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी थी। लेकिन बाद में नगर आयुक्त ने नालों का निरीक्षण किया, जिससे वह संतुष्ट नजर नहीं आए। वहीं, हाल ही में प्रभारी मंत्री धर्मपाल सिंह ने भी शहर की सफाई व्यवस्था और नालों का निरीक्षण किया।

 

 

लेकिन, इस दौरान उन्होंने नगर निगम कर्मचारियों को फटकार लगाते हुए यह तक कह डाला कि क्या शहर में सालों से सफाई नहीं हुई। उन्होंने सभी नालों को जल्द साफ करने के भी निर्देश दिए।

लेकिन अगर नाला सफाई की बात करें तो धरातल पर कुछ भी नजर नहीं आता। हालात ये हैं कि शहर में कुछ नाले ही ऊपरी सतह पर साफ किए गए हैं, उनकी भी तलीझाड़ सफाई नहीं की है। जबकि अन्य नालों में अभी भी सिल्ट जमा है। जिनके कारण यदि तेज बारिश आयी तो शहर का बहुत बड़ा इलाका जलभराव से रूबरू होगा।  जिसकी पूरी जिम्मेदारी नगर निगम की होगी।

इसको देखते हुए कहा जा सकता है कि एक बार फिर शहारवासी नालों के गंदे पानी में जूझते हुए नजर आएंगे। क्योंकि निगम अधिकारी आंख बंद किए बैठे हैं।

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