अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंची बूढ़ी गंगा, आईयूसीएन के आयोग ने असिस्टेंट प्रो. प्रियंक को सदस्य बनाया

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शारदा न्यूज़, संवाददाता |

मेरठ। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान रखने वाली आईयूसीएन (इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर) ने मेरठ के नेचुरल साइंसेज ट्रस्ट अध्यक्ष व शोभित विवि के असिस्टेंट प्रो. प्रियंक भारती चिकारा को 2025 तक के लिए सदस्य बनाया है।

उन्होंने प्रियंक भारती को भारतीय नागरिक एवं प्राकृतिक संसाधनों के श्रेष्ठ रक्षक के रूप में स्थान दिया है और महाभारतकालीन हस्तिनापुर स्थित बूढ़ी गंगा का विशेष रूप से संज्ञान लिया है। अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बूढ़ी गंगा का मुद्दा गूंजेगा। हस्तिनापुर में बूढ़ी गँगा को समाप्त करने के कारण एक्वेटिक बायोडायवर्सिटी पर गहरा प्रभाव पड़ा है। सदस्य मनोनीत करने की जानकारी आयोग की अध्यक्षा क्रिस्टन वॉकर-पेनमिला ने ईमेल के माध्यम से मंगलवार को प्रातः दी है।

असिस्टेंट प्रो. प्रियंक ने बताया कि कुछ दिन पहले उनसे बॉयोडाटा मांगा गया था और इसके बाद बूढ़ी गंगा के बारे में जानकारियां मांगी गई थी, जोकि आयोग को मुहैया कराई गई थी। बहरहाल आईयूसीएन ने बूढ़ी गँगा के मुद्दे पर हर सम्भव मदद प्रदान करने की बात भी कही है।

बूढ़ी गँगा से प्राप्त हुए चौकाने वाले परिणाम

प्रियंक का कहना है कि बूढ़ी गँगा में कुछ जलीय जीव ऐसे पाए गए हैं, जोकि बहुत चौकाने वाले हैं और उन्होंने इसके बारे में जल्द ही अधिक जानकारी प्रदान करने की बात कही है।

 

महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी गई

प्रियंक भारती को आईयूसीएन ने महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी है। आयोग ने उन्हें एक बड़ा प्लेटफार्म देने का कार्य किया है जिससे की महाभारत के इतिहास की साक्षी रही बूढ़ी गंगा को बचाने के लिए हर संभव प्रयास हो सकें ।

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