शारदा रिपोर्टर मेरठ। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय परिसर के संस्कृत विभाग में ‘श्री कालीचरण पौराणिक पद्मावती निधि’ द्वारा तथा चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ एवं केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली के सहयोग से 34वे अखिल भारतीय व्यास समारोह का उद्घाटन आज 23 अक्टूबर 2025 को हुआ। शोभायात्रा के पश्चात यज्ञ का कार्यक्रम आयोजित किया गया।
यज्ञ के मुख्य यजमान संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. प्रशान्त शर्मा रहे। यज्ञ के पश्चात केन्द्रीय संस्कृत वि.वि. दिल्ली के शैक्षिक निदेशक प्रो. मदनमोहन झा तथा सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एवं सुप्रसिद्ध कवि प्रो. अभिराज राजेन्द्र मिश्र ने 33 वर्षों से चली आ रही व्यास समरोह की इस अद्भुत परम्परा भूरिश: अभिनन्दन किया और कहा कि संस्कृत जगत के इतिहास में यह कार्यक्रम अपना विशिष्ट स्थान रखता है ।
उद्घाटन सत्र में मुख्यातिथि महर्षि पाणिनि संस्कृत वैदिक वि.वि. उज्जैन के माननीय कुलगुरु प्रो. शिवशंकर मिश्र, विशिष्टातिथि प्रो. विश्वनाथ स्वाईं, सारस्वतातिथि प्रो. भारतेन्दु पाण्डेय, संस्कृत विभागाध्यक्ष दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली तथा अध्यक्ष के रूप में प्रो. मदनमोहन झा उपस्थित रहे।
संयोजक डॉ. नरेन्द्र कुमार ने मंचासीन महानुभावों का अंगवस्त्र द्वारा स्वागत करते हुए सभी विद्वानों से व्यास-भूमि पर इस समग्र समारोह में सहज रीति से व्यास साहित्य का रसास्वादन करने का आह्वान किया। व्यास समारोह की मार्गदर्शिका प्रो. पूनम लखनपाल ने अभ्यागत अतिथियों का कनकमंजरी छन्द द्वारा शाब्दिक स्वागत किया। व्यास समारोह के प्रवर्तक महामहोपाध्याय प्रो. सुधाकराचार्य त्रिपाठी ने सुमधुर वाणी में काव्य पाठ करते हुए अपनी काव्य-निर्झरी के माध्यम से उपस्थित श्रोताओं का मन मोह लिया।
मुख्यातिथि प्रो० शिवशंकर मिश्र ने व्यास समारोह के साथ अपना पुराना सम्बन्ध बताते हुए कहा कि उन्होंने अनेक वर्षों पूर्व अपने छात्र जीवन में इस समारोह में आयोजित होने वाली वाद-विवाद प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया था। विशिष्टातिथि प्रो. विश्वनाथ स्वाईं ने इस कार्यक्रम की ऐतिहासिकता एवं गरिमामयी परम्परा पर प्रकाश डाला। सारस्वतातिथि प्रो. भारतेन्दु पाण्डेय ने इस समारोह की उदात्तता एवं भव्यता के लिए शुभकामनाएँ दी। अध्यक्षीय वक्तव्य में प्रो. मदनमोहन झा ने छन्दोबद्धवाणी में होने वाले संचालन की प्रशंसा करते हुए कहा कि व्यास जी की शिक्षाओं को राष्ट्रीय शिक्षा नीति में समाहित करना अत्यन्त आवश्यक है । उन्होंने वर्तमान शिक्षा के साथ महर्षि वेदव्यास तथा उनकी भव्य एवं उदात्त परम्परा को जोड़ने की बात कही।
उद्घाटन सत्र के अन्त में विभागाध्यक्ष डॉ. प्रशान्त शर्मा ने सभी अतिथियों एवं आगंतुको का आभार प्रकट करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का सञ्चालन डॉ. संतोष कुमारी ने सुमधुर कंठ द्वारा कनकमंजरी छन्द में किया।
समारोह के दूसरे सत्र में दिल्ली वि.वि. के दौलत राम कॉलेज के संगीत विषय की विभागाध्यक्षा एवं बनारस घराने के शास्त्रीय संगीत की सुप्रसिद्ध गायिका प्रो. दीप्ति बंसल एवं उनकी सुपुत्री सुश्री मनस्वनी लखनपाल ने छन्दोबद्ध राग एवं ताल में संगीत संध्या के अन्तर्गत चतु:श्लोकी भागवत, मधुराष्टकम्, वर्षा ऋतु वर्णन, गणेश पञ्चरत्नम्, अच्युताष्टकम् तथा शंकराचार्य द्वारा विरचित सुप्रसिद्ध ‘भजगोविन्दम्’ स्तोत्र का प्रस्तुतिकरण किया। सत्र का सञ्चालन विभाग की छात्र सृष्टि ने किया।

समारोह में संस्कृत-विभाग के समन्वयक प्रो. वाचस्पति मिश्र, डॉ. राजबीर, डॉ. ओमपाल सिंह, तुषार गोयल, डॉ. रक्षिता, डॉ आभा कंसल, मनीष स्वामी, संजीत पाण्डेय, शुभम् चौधरी, साहिल तरीका, अंशिका, दीप्ति, दिव्या, अमृत, शिवानी, तनु, हिमानी, हिमांशी, ख़ुशी, गौतम, टीना, प्रताप, सुमित, मोहित, विष्णु, उज्जवल, सुमित, बबलू आदि उपस्थित रहे।

