Sunday, July 13, 2025
Homeउत्तर प्रदेशMeerutआत्मा में रमण करना ही उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म

आत्मा में रमण करना ही उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म

दिगंबर जैन समाज के पर्युषण महापर्व के अंतिम दिन.


शारदा रिपोर्टर मेरठ। दिगंबर जैन समाज के पर्युषण महापर्व के अंतिम दिन मंगलवार को असौड़ा हाउस दिगंबर जैन मंदिर में श्रद्धालुओं ने श्रद्धा व भक्ति पूर्वक उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म की आराधना की। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने प्रात:भगवान का अभिषेक व नित्य नियम पूजा की।

अनंत चतुर्दशी पर मंदिर में विराजमान भगवान आदिनाथ भगवान, शांतिनाथ भगवान, मुनिसुब्रतनाथ भगवान, पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा का अभिषेक किया गया। इस दौरान शांतिधारा करने का सौभाग्य पंकज जैन, रमाकांत जैन सौरभ जैन को मिला। अंनत चतुर्दशी को बारहवें तीर्थं कर भगवान वासुपूज्य का मोक्ष कल्याणक निर्वाण लाडू चढ़ाकर मनाया गया।

उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म की पूजा के दौरान शास्त्री जी ने कहा कि मनुष्य को संसार में रहते हुए भी ब्रह्म (आत्मा) में रमण करना उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म है। शास्त्री जी ने कहा कि आत्मा से अच्छा संसार में कुछ नहीं है। इधर -उधर की बातें छोड़ते हुए अपनी आत्मा में लीन रहते हुए अपना स्वयं का कल्याण करना चाहिए। आत्मा अजर है अमर है अविनाशी है।

आत्मा और शरीर घी और छाछ के समान है यदि आपके हाथ में घी है और छाछ है और आप गिर रहे हैं तो सबसे पहले घी को बचाएंगे छाछ छूट भी जाए तो चलेगा। इसी प्रकार जन्म तो कई होते हैं लेकिन अपनी आत्मा को कभी खराब नहीं करना चाहिए आत्मा में लीन रहते हुए अपने जन्म को सार्थक बनाना चाहिए। कल का कोई भरोसा नहीं, जो भी है आज ही है और अभी है उस पार क्या है हमें नहीं मालूम। जीवन समाप्त होने के बाद उस पार क्या है हमें नहीं मालूम, हां लेकिन यह मालूम है कि अच्छे कर्म करेंगे तो अच्छा भाव प्राप्त होगा। यही ब्रह्मचर्य का अंतिम और सत्य धर्म है। उधर दिगंबर जैन मंदिर कचहरी रोड पर सोनिया जैन जी ने बताया ब्रह्मचर्य दो शब्दों से बना है। ब्रह्म और चर्या ब्रह्म मतलब अपनी आत्मा में अपने ब्रह्मांड में लीन रहते हुए उसमें निरंतर चर्या करते रहना ही ब्रह्मचर्य है।

शाम को दिगंबर जैन मंदिर कचहरी रोड पर धार्मिक तंबोला का आयोजन हुआ जिसमें दीपक जैन द्वारा सभी को प्रस्तुत किया गया। इसके पश्चात जिनवाणी स्तुति के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। सांस्कृतिक कार्यक्रम में पंडित सिद्धांत शास्त्री द्वारा बच्चों की एक चित्रकला प्रतियोगिता कराई गई। जिसमें सभी बच्चों को पुरस्कृत किया गया.

अंत में सभी श्रद्धालुओं ने आरती एवं जिनवाणी स्तुति के साथ कार्यक्रम का समापन किया। मंदिर परिसर में विनोद जैन, कपिल जैन, रमेश जैन, सुभाष जैन, साहिल जैन, रोहित जैन, अनुज जैन, शुभम जैन, शौर्य जैन, रचित जैन आदि उपस्थित रहे।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Recent Comments