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Wednesday, December 3, 2025
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साइबर जालसाजों का आतंक: एक करोड़ 10 लाख रुपये ठगे, पांच दिन किया डिजिटल अरेस्ट

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  • मामले में साइबर क्राइम थाने में मुकदमा दर्ज

नोएडा। साइबर ठगों ने एक परिवार को इतना डरा दिया और ऐसे ऐसे सवाल किए कि सभी को लगा कि अब जेल जाना तय है। जालसाजों ने करीब पांच दिन तक किसी से फोन पर बात करने मना कर दिया। इस दौरान पांच दिन तक स्काइप कॉल से नजर रखी गई। जालसाजों ने एलआईसी के रिटायर्ड मैनेजर को परिवार के साथ मनी लॉंड्रिंग में फंसाने का झांसा देकर डिजिटल अरेस्ट किया। डिजिटल अरेस्ट कर तरह-तरह की धमकी देकर डराया और एक करोड़ 10 लाख रुपये की ठगी कर ली। जब पीड़ित को साइबर ठगी की जानकारी हुई, तब पुलिस से शिक-ायत की। इस मामले में साइबर क्राइम थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस उन खातों की जांच कर रही है। जिनमें साइबर ठगी की रकम भेजी गई है।

जानकारी के अनुसार, सेक्टर-19 के ए ब्लॉक में रहने वाले चंद्रभान पालीवाल एलआईसी के सेवानिवृत मैनेजर हैं। इनके पास एक फरवरी को दोपहर दो बजकर 40 मिनट पर एक अनजान नंबर से कॉल आई। कॉलर ने कहा कि दो घंटे के भीतर ट्राई से संपर्क कर लें नहीं तो सिम बंद हो जाएगा। इसके बाद बताया कि आपका मामला मुंबई साइबर क्राइम ब्रांच में चल रहा है। करीब दस मिनट बाद कथित मुंबई के कोलावा पुलिस स्टेशन से एक फोन आया और उसने खुद को आईपीएस राजीव कुमार बताकर वीडियो कॉल पर बात शुरू की। वीडियो में ग्रेटर मुंबई पुलिस का लोगो दिखाई दे रहा था।

कथित आईपीएस ने कहा कि आपके खिलाफ देश भर में अलग-अलग जगहों पर 24 केस दर्ज हैं। ये सभी केस लोगों को डरा धमकाकर पैसा वसूलने से लेकर मनी लॉंड्रिंग के हैं। चंद्रभान के नाम से केनरा बैंक मुंबई में एक बैंक खाता खोला गया है। उस बैंक से पैसा निकालकर दूसरे खाते में डाला गया है। सारा पैसा मनी लॉंड्रिंग का है। यह सब सुनकर पीड़ित डर गए। इसके बाद यह कहकर और भी डरा दिया गया कि उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट है। इसमें उसकी तुरंत गिरफ्तारी होगी। इसके लिए आधार कार्ड की जांच के लिए कैमरे को सामने लाकर फोटो लिया गया। इस दौरान पीड़ित से बैंक संबंधी जानकारी भी ली गई। पांच दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखने के बाद एक करोड़ दस लाख रुपये अलग अलग खातों में ट्रांसफर करा लिया।

स्काइप से नजर रखी गई: साइबर ठगों ने पति-पत्नी व बेटी तीनों को इतना डरा दिया और ऐसे ऐसे सवाल किए कि सभी को लगा कि अब जेल जाना तय है। जालसाजों ने पांच दिन तक किसी से फोन पर बात करने मना कर दिया और मोबाइल चार्जिंग पर अपने सामने लगवाया। इस दौरान पांच दिन तक स्काइप कॉल से नजर रखी गई। अगले दिन सीबीआई कोर्ट में एक व्यक्ति जज के रूप में दिखाया गया। उसने पीड़ित को मोबाइल के सामने बुलाया। नरेश गोयल के साथ संबंध होने की बात कहकर कथित जज ने शिकायतकर्ता की बेल खारिज कर दी और आॅर्डर की कॉपी शिकायतकर्ता को भेज दी गई।

एफडी तुड़वाकर पीड़ित ने भेजी रकम: जब कथित जज ने बेल खारिज कर दी तब जालसाजों ने बचने के लिए रकम ट्रांसफर करने का दबाव बनाना शुरू कर दिया। पीड़ित की तरफ से जब बताया गया कि इतनी रकम नहीं है तब एफडी तुड़वाकर पैसे भेजने के लिए कहा गया। नहीं तो कुछ ही घंटों में अरेस्ट करने की धमकी दी गई। इसके बाद पीड़ित और उसकी पत्नी बैंक पहुंची। एफडी तुड़वाई और जालसाजों के बताए गए खाते में रकम ट्रांसफर की। इसके बाद जब दोबारा चंद्रभान पर पैसे ट्रांसफर करने का दबाव बनाया गया तो वह फिर बैंक पहुंच गया। वहां बैंक अधिकारियों ने पुलिस से शिकायत करने के लिए कहा। इसके बाद इस मामले में पुलिस से शिकायत की गई। पुलिस की प्राथमिक जांच में बेंगलुरू के खाते में रकम ट्रांसफर होने की जानकारी मिली है।

पूरे परिवार के साथ पहली घटना: नोएडा में डिजिटल अरेस्ट की घटनाएं लगातार हो रही हैं लेकिन पूरे परिवार को एक साथ डिजिटल अरेस्ट कर ठगी करने की यह पहली घटना है। इससे पहले मां व बेटी को एक साथ डिजिटल अरेस्ट किया गया था।

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