– आरक्षण को लेकर राष्ट्रीय जनता दल की याचिका पर हुआ आदेश
– नोटिस जारी करें और लंबित याचिकाओं के साथ संलग्न करें : सीजेआई
एजेंसी, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राष्ट्रीय जनता दल की याचिका पर संबंधित प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया है। आरजेडी ने शीर्ष अदालत में पटना हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी है। पटना हाई कोर्ट ने नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जनजातियों और अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण बढ़ाने के राज्य सरकार के संशोधनों को रद्द कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को अन्य समान याचिकाओं के साथ टैग किया है।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने राजद की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पी विल्सन की दलीलों पर गौर किया कि याचिका पर निर्णय किए जाने की जरूरत है। सीजेआई ने कहा, नोटिस जारी करें और लंबित याचिकाओं के साथ संलग्न करें।
29 जुलाई को शीर्ष अदालत ने इसी तरह की 10 अन्य याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था, जिसमें बिहार में संशोधित आरक्षण कानूनों को रद्द कर दिया गया था। हालांकि, पीठ ने फैसले के खिलाफ बिहार सरकार की याचिकाओं पर सुनवाई करने पर सहमति जताई थी। बिहार सरकार ने भी उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है।
पटना उच्च न्यायालय ने बिहार विधानमंडल में पिछले साल पारित आरक्षण बढ़ाने वाले संशोधनों को खारिज कर दिया था। इस संशोधन के मुताबिक बिहार में सरकार ने पिछड़ा वर्ग, अति पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया है। हाईकोर्ट के इसी फैसले के खिलाफ लालू यादव की पार्टी आरजेडी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। बिहार सरकार ने जाति गणना के बाद यह संशोधन किया था।
- पटना हाईकोर्ट के फैसले को आरजेडी ने दी चुनौती
- 50 से 65% आरक्षण के फैसले को हाईकोर्ट ने किया था रद्द
- अब अन्य याचिका के साथ सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई