शारदा रिपोर्टर मेरठ। मुकुंदी देवी धर्मशाला में सर्व जननीन दुर्गा पूजा सोसाइटी द्वारा श्री दुर्गा पूजा एवं लक्ष्मी पूजा महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान बंगाली समाज की सैंकड़ों महिलाएं कार्यक्रम में शामिल हुई और मां की पूजा अर्चना की। इस दौरान नवरात्र के बाद मां दुर्गा की विदाई पर भक्तों की आंखें नम हो गईं। बंगाली के लोगों ने भव्य शोभायात्रा निकालकर मूर्ति विसर्जन किया। जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल हुए। महिलाओं ने सिंदूर खेला और मां भगवती से अखंड सुहाग की कामना की।
बता दें कि, मेरठ में नवरात्र के बाद मां दुर्गा की विदाई पर भक्तों की आंखें नम हो गईं। बंगाली दुगार्बाड़ी समिति ने भव्य शोभायात्रा निकालकर मूर्ति विसर्जन किया जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल हुए। महिलाओं ने सिंदूर खेला और मां भगवती से अखंड सुहाग की कामना की। प्रतिमा निर्माण में प्राकृतिक पदार्थों का प्रयोग किया गया ताकि पर्यावरण सुरक्षित रहे।प्रतिमा निर्माण में प्राकृतिक पदार्थों का प्रयोग किया गया ताकि पर्यावरण सुरक्षित रहे।
मान्यता है कि, नवरात्र में मां दुर्गा भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय के साथ नौ दिनों के लिए मायके आती है। ससुराल से मायके आई बेटी की तरह ही उनका स्वागत सत्कार और आवभगत की जाती है, और दशहरे को मां दुर्गा अपने ससुराल चली जाती हैं। इस दौरान बेटी को विदा करते समय माता-पिता और स्वजन के मन में जो भाव और आंखों में नमी होती है।
वहीं भाव नवरात्र के बाद मूर्ति विसर्जन यात्रा में मां दुर्गा की विदाई के समय लोगों की भीगी हुई आंखों में दिखाई देता है। बंगाली दुगार्बाड़ी समिति द्वारा सदर दुगार्बाड़ी में विजयदशमी पर मां भगवती का विधि विधान से पूजन कर शोभायात्रा निकालकर नानू की नहर में मूर्ति विसर्जन किया गया। जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु एकत्रित हुए। इससे पहले बंगाली समाज की महिलाओं ने मां भगवती के चरणों में सिंगार सामग्री अर्पित कर अखंड सुहाग की कामना करते हुए देवी को सिंदूर लगाया।



