साहित्य लोक:-
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ममता भरी नसीहत
बेटी तुम तो मत फसना दुनिया के जंजाल में
बेटी अब तुम बड़ी हो गई ऐसा कर लो वैसा कर लो
कुछ संयम तो अंदर भर लो
तुम्हें चाहेंगे बांध लेना अपने बड़प्पन के जाल में !!
बेटी तुम तो मत फसना दुनिया के जंजाल में
अब तो तुम तुम बचपना छोड़ दो
और उम्र की चादर ओढ़ लो !!
पर बेटी तुम छोड़ देना दुनिया को अपने हाल में
बेटी तुम तो मत फसना दुनिया के जंजाल में
तुम खिलखिला कर हो क्यों हंसती हो !!
लोग क्या कहेंगे यह नहीं सोचती हो
लोगों का क्या वो तो रखना चाहे अपनी ताल में
बेटी तुम तो मत फसना दुनिया के जंजाल में !!
जीवन के हर मोड़ पर तुम्हें क्या चुनना सिखलाएंगे
यह कर लो वह कर लो हर समय तुम्हें बतलाएंगे
वही करो जो दिल कहता है मत पढ़ना इनकी चाल में !!
बेटी तुम तो मत फसना दुनिया के जंजाल में
लोग तुम्हारे सपने छीनेंगे तुम्हारी राह के मोती बिनेंगे
लेकिन तुम सपनों को रखना अपने संकल्पों की ढाल में !!
बेटी तुम तो मत फसना दुनिया के जंजाल में
बेटी तुम तो मत फसना दुनिया के जंजाल में
बेटी तुम तो मत फंसना दुनिया के जंजाल में !!!!