Saturday, September 13, 2025
HomeTrendingदेश को सच्ची स्वतंत्रता रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से मिली: आरएसएस प्रमुख

देश को सच्ची स्वतंत्रता रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से मिली: आरएसएस प्रमुख

  • आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा सदियों से आक्रमण झेला देश ने।

एजेंसी, इंदौर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने सोमवार को इंदौर में एक समारोह के दौरान कहा कि अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तिथि ‘प्रतिष्ठा द्वादशी’ के रूप में मनाई जानी चाहिए, क्योंकि अनेक सदियों से दुश्मन का आक्रमण झेलने वाले देश की सच्ची स्वतंत्रता इस दिन प्रतिष्ठित हुई थी।

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का यह बयान श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महासचिव चंपत राय को इंदौर में ह्यराष्ट्रीय देवी अहिल्या पुरस्कार प्रदान करते समय आया। उन्होंने कहा, “यह दिन अयोध्या में राम मंदिर के पुनर्निर्माण और भारतीय संस्कृति की पुनर्स्थापना का प्रतीक बन गया है। भागवत ने कहा कि 15 अगस्त 1947 को देश को ब्रिटिश शासन से राजनीतिक स्वतंत्रता मिली, लेकिन उस स्वतंत्रता की दिशा और उसका असली उद्देश्य संविधान के गठन के समय स्पष्ट नहीं हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि भगवान राम, कृष्ण और शिव जैसे देवी-देवता भारतीय जीवन मूल्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो देश के ‘स्व’ (स्वतंत्रता) का हिस्सा हैं, और यह केवल उन्हीं लोगों तक सीमित नहीं है जो उनकी पूजा करते हैं।

भागवत ने कहा कि आक्रांताओं ने देश के मंदिरों के विध्वंस इसलिए किए थे कि भारत का स्व मर जाए। भागवत ने कहा कि राम मंदिर आंदोलन किसी व्यक्ति का विरोध करने या विवाद पैदा करने के लिए शुरू नहीं किया गया था। संघ प्रमुख ने कहा कि यह आंदोलन भारत का स्व जागृत करने के लिए शुरू किया गया था, ताकि देश अपने पैरों पर खड़ा होकर दुनिया को रास्ता दिखा सके। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन इसलिए इतना लंबा चला, क्योंकि कुछ शक्तियां चाहती थीं कि अयोध्या में भगवान राम की जन्मभूमि पर उनका मंदिर न बने।

मंदिर विध्वंस किये ताकि भारत मर जाए

इंदौर। भागवत ने कहा कि आक्रांताओं ने देश के मंदिरों के विध्वंस इसलिए किए थे कि भारत का स्व मर जाए। भागवत ने कहा कि राम मंदिर आंदोलन किसी व्यक्ति का विरोध करने या विवाद पैदा करने के लिए शुरू नहीं किया गया था। संघ प्रमुख ने कहा कि यह आंदोलन भारत का स्व जागृत करने के लिए शुरू किया गया था, ताकि देश अपने पैरों पर खड़ा होकर दुनिया को रास्ता दिखा सके। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन इसलिए इतना लंबा चला, क्योंकि कुछ शक्तियां चाहती थीं कि अयोध्या में भगवान राम की जन्मभूमि पर उनका मंदिर न बने।

 

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Recent Comments