बदली रणनीति: पहले चरण का देखकर मतदान, संघ ने संभाली कमान

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– आठ सीटों पर उम्मीद से बहुत कम मतदान देख भाजपा में बढ़ी बेचैनी
– चुनाव से दूरी बनाकर बैठे आरएसएस स्वयं सेवकों को दी गई मतदान बढ़ाने की जिम्मेदारी


अनुज मित्तल, समाचार संपादक

मेरठ। लोकसभा चुनाव के पहले चरण में उम्मीद से बहुत कम मतदान हुआ है। यह कम मतदान अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा के लिए खतरे की घंटी है। जिसे देख परेशान भाजपा के आला नेताओं ने संघ की शरण लेकर मतदान बढ़ाने की गुहार लगाई है। जिसके बाद संघ के स्वयं सेवक सक्रिय हो गए हैं।

भाजपा इस बार 400 सौ पार का नारा देकर चुनाव मैदान में उतरी है। जिसमें यूपी के भीतर भाजपा की योजना 80 सीटों में से कम से कम 75 सीटें जीतने की थी। लेकिन पहले ही चरण में यह नारा और योजना पूरी तरह धराशायी होती नजर आयी। क्योंकि भाजपा जितने मतदान की उम्मीद करके चल रही थी, उससे बहुत कम मतदान हुआ। रही सही कसर भाजपा के मूल वोटरों के बंटवारे और विपक्षी वोटरों के धु्रवीकरण ने पूरी कर दी।

पहले ही चरण का रूझान देख भाजपा नेतृत्व सकते में आ गया। सूत्रों की मानें तो भाजपा नेतृत्व ने संघ दरबार में गुहार लगाई, जिसके बाद रविवार से संघ के स्वयं सेवक चुनाव का माहौल बनाने और मतदान बढ़ाने के लिए सक्रिय हो गए हैं।

बैठकों और सोशल मीडिया पर हुए सक्रिय

संघ के स्वयं सेवक दो दिन से लगातार बैठकों का दौर चलाते हुए सोशल मीडिया पर सक्रिय नजर आ रहे हैं। जबकि पहले चरण में वह शांत बैठे थे। यही नहीं संघ के स्वयं सेवकों ने अब भाजपा के पन्ना प्रमुखों से भी संपर्क कर उनसे सूची प्राप्त कर ली है। ये स्वयं सेवक अब व्यक्तिगत रूप से घर-घर जाकर मतदाताओं से संपर्क कर मतदान की जहां अपील करने में जुट गए हैं, वहीं मतदान के दिन प्रत्येक घर से मतदाताओं को बूथ तक लाने की जिम्मेदारी भी संघ के स्वयं सेवकों ने संभाल ली है।

पहले भी संघ स्वयं सेवक बने हैं तारणहार

भाजपा की जीत में संघ परिवार का हमेशा अहम रोल रहा है। भले ही संघ अपने को अराजनैतिक बताता हो, लेकिन भाजपा संघ की राजनैतिक शाखा है। हर बार संघ के स्वयं सेवक ही भाजपा की जीत का तारणहार बने हैं।

लेकिन इस बार अप्रत्याशित रूप से संघ परिवार चुनाव को लेकर पूरी तरह चुप्पी साधे बैठा था। माना जा रहा है कि मोदी और उनके सहयोगियों को लेकर संघ आलाकमान पूरी तरह संतुष्ट नहीं है। इसी कारण पहले चरण के मतदान में संघ परिवार ने चुनाव से पूरी तरह दूरी बनाकर रखी। लेकिन पहले ही चरण में भाजपा के आला नेताओं को पता चल गया कि इस चुनाव में मोदी की गारंटी का असर चलता नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में एक बार फिर से संघ परिवार की मदद को गुहार लगानी पड़ी।

मेरठ सीट बनी भाजपा की नाक का बाल

भाजपा नेतृत्व ने स्थानीय नेताओं को दरकिनार कर अरुण गोविल को प्रत्याशी बनाया है। ऐसे में स्थानीय बड़े नेता चुनाव में साथ तो नजर आ रहे हैं, लेकिन कार्यकर्ताओं में वह जोश और उत्साह नजर नहीं आ रहा है, जिसके बूते तपती गर्मी के बीच मतदाता को मतदान केंद्र तक पहुंचाया जाए। इसी को देखते हुए अब भाजपा ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है।

यूपी में मोदी से ज्यादा योगी को किया सक्रिय

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यूं तो पूरे देशभर में रैलियां है। लेकिन जिस तरह यूपी में संकट खड़ा हो रहा है। उससे अब भाजपा का दिल्ली में बैठा नेतृत्व भी हिलता हुआ नजर आ रहा है। यही कारण है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर पूर्वी उत्तर प्रदेश तक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक-एक सीट पर कई-कई बार जनसभाएं कर रहे हैं। मंगलवार को योगी आदित्यनाथ का मेरठ लोकसभा सीट पर चौथा और मेरठ जनपद में पांचवां दौरा होगा। इससे पहले किसी चुनाव में ऐसा नहीं हुआ। ऐसे में साफ है कि भाजपा को अब आने वाले चरणों में अपनी सीटें फंसती हुई नजर आ रही हैं।

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