अखिलेश और राहुल ने यूपी में भाजपा को दी बड़ी टेंशन।
शारदा रिपोर्टर
मेरठ। दो शहजादों की जोड़ी ने इस बार यूपी में कमाल कर दिया। जो भाजपा यूपी में अपने 2014 के प्रदर्शन से बढ़कर उम्मीद कर रही थी, लेकिन उस प्रदर्शन के लगभग आधे पर सिमट कर रह गई। भाजपा को कई सीटों पर तो बहुत संघर्ष के बाद जीत मिली।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सीटों की अगर बात करें तो कैराना, नगीना, सहारनपुर, मुरादाबाद, अमरोहा सीट जहां लगभग हार चुकी है। वहीं मुजफ्फरनगर और मेरठ में कड़ा मुकाबला चल रहा है। बागपत और बिजनौर सीट पर गठबंधन का रालोद बढ़त बनाए हुए हैं, जहां पर बागपत सीट रालोद जहां लगभग जीत चुका है, वहीं बिजनौर सीट पर संघर्ष चल रहा है। रामपुर सीट भाजपा ने उपचुनाव में जीती थी, लेकिन एक बार फिर से यहां पर कांग्रेस जीतती हुई नजर आ रही है।
विधानसभा चुनाव 2017 में सपा और कांग्रेस का गठबंधन था। लेकिन यह जोड़ी तब सफल नही हुई थी। इसके बाद कांग्रेस और सपा की राह अलग हो गई। लेकिन इस चुनाव में दोनों फिर से यूपी में साथ आए। इस बार दोनों ने प्रचार भले ही भाजपा से बाद में शुरू किया हो, लेकिन माहौल पूरी तरह बनाने में सफल रहे।
समाजवादी पार्टी को यूपी में 2019 के चुनाव में मात्र पांच सीटों पर जीत मिली थी। जबकि इस बार तीस से ज्यादा सीट जीतती हुई नजर आ रही है। वहीं कांग्रेस एक सीट जीत पाई थी, लेकिन इस बार पांच सीट से ज्यादा जीतने की तरफ अग्रसर है। लेकिन इस चुनाव में सबसे बड़ा नुकसान बसपा को हुआ है। बसपा जो दस सीट जीती थी, इस बार उसका पूरी तरह सुपड़ा साफ हो गया।