शारदा रिपोर्टर मेरठ। महर्षि वाल्मीकि जी की जयन्ती के अवकाश घोषित किए जाने के फलस्वरुप वाल्मीकि जी के अनुयायी समाज के सफाई वर्कर्स को अवकाश न दिए जाने के विरोध में मंगलवार को वाल्मीकि समाज के दर्जनों लोगों ने कमिश्नरी चौराहे पर प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने एक ज्ञापन कमिश्नर कार्यालय पर सौंपते हुए समस्या के समाधान की मांग की।
ज्ञापन सौंपते हुए समाज के लोगों ने कहा कि, भाजपा सरकार सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के एजेंडे से विमुख हो रही है। उन्होंने कहा कि, 23 मार्च को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा अति दलितों को अनुसूचित जाति आरक्षण में भागीदारी दिलाने की घोषणा के फलस्वरुप, 1 अगस्त 2024 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अति दलितों को (आरक्षण से वंचित उपजातियों को) अनुसूचित जाति आरक्षण में किए गए उपवर्गीकरण को उत्तर प्रदेश में लागू नहीं किया जाना अत्यन्त गम्भीर विषय है।
उन्होंने कहा कि, 24 नवम्बर 2017 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महाराज द्वारा सफाई कर्मियों को पूर्ण मानदेय निकाय स्तर से ही दिलाए जाने की घोषणा के फलस्वरुप, आऊट सोर्सिंग व्यवस्था को ही घोषित किए जाने को अति गम्भीर मान कर उत्तर प्रदेश सरकार को आऊट सोर्सिंग / ठेकेदारी व्यवस्था को खत्म करने के दायित्व से अवगत कराया गया था। इसलिए वाल्मीकि चेतना मंच यह मांग करते हैं कि, मुख्यमंत्री द्वारा महर्षि वाल्मीकि जी के पावन प्रकट दिवस को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है। जिस अवकाश से महर्षि वाल्मीकि जी के अनुयायी माने जाने वाले वाल्मीकि समाज के सफाई वर्कर्स (सफाई कर्मियों) को बिना अवकाश दिए रोजाना जैसे सफाई कार्य लगाकर अपनी घोषणा को ही निरुत्तर कर दिया है। जिससे वाल्मीकि समाज में बहुत ही चिन्ता व्याप्त है। यह कैसा लोकतंत्र है जिसमें मानव-मानव में भेद किया जा रहा है। यही स्थिति स्वाधीनता दिवस व गणतंत्र दिवस पर भी होती है। ऐसा प्रतीत होता है कि हुकूमतें सफाई वर्कर्स को स्वतंत्र देश का स्वतंत्र नागरिक मानने से परहेज कर रही हैं जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 16 व नैसर्गिक न्याय के विरुद्ध है।
उन्होंने कहा कि, यह कि वर्ष 2001 में उ.प्र. में राजनाथ सिंह जी के नेतृत्व वाली उ.प्र. सरकार में अनुसूचित जाति के आरक्षण से वंचित उपजातियों को चिन्हित कर, उन्हें आरक्षण का लाभ दिलाने के लिए सामाजिक न्याय समिति बनाई गई थी। उसी क्रम में मुख्यमंत्री योगी द्वारा 23 मार्च 2018 में अति दलितों को आरक्षण दिलाने की घोषणा की थी। जो घोषणा प्रमुख अखबारों में प्रमुखता से प्रकाशित हुई थी किन्तु उसी आरक्षण के संदर्भ में 1 अगस्त 2024 में मा. सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुसूचित जाति, जनजाति आरक्षण में किए गए। उपवर्गीकरण को उ.प्र. में लागू नहीं किया गया जो चिन्ता का विषय है। जबकि मा. योगी जी के नेतृत्व वाली उ. प्र. सरकार का एजेंडा सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास तथा अन्त्योदय व जीरो पॉवर्टी आदि है।