शारदा रिपोर्टर मेरठ। राजनीतिक दबाव कहें या पुलिस की केस को जल्दी निपटाने की बेबसी कि मवाना में युवक की हत्या के मामले में एक चिकित्सक को जेल भेज दिया। जबकि खुद पुलिस जहां सारा सच जानती है, तो सीसीटीवी कैमरे की फुटेज भी सच्चाई को चीख-चीख कर बयां कर रही है कि इस हत्याकांड में एक आरोपी को बेगुनाह होने के बावजूद जेल भेजा गया है।
मवाना में चार अगस्त को दिन दहाड़े चाय की दुकान पर बैठे युवक रोहित सैन की कुछ युवकों ने पॉलीथीन न देने पर हुए विवाद में गला रेतकर हत्या कर दी थी। मुख्य हत्यारोपी दूसरे संप्रदाय का होने से मामला सांप्रदायिक हो गया था। लेकिन जब सारे हत्यारे सामने आए तो मामला सिर्फ गुंडगर्दी का निकला। लेकिन इस सारे प्रकरण में एक नर्सिंग होम संचालक डा. फराहीम को भी हत्यारोपियों के साथ आरोपी बना दिया गया। इस मामले को लेकर एक राज्यमंत्री ने हत्या के अगले दिन आरोपी बनाए गए चिकित्सक को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस पर जमकर दबाव बनाया और उसका परिणाम ये हुआ कि पुलिस ने डा. फराहीम को जेल भेज दिया। इतना ही नहीं तीन दिन पूर्व डा. फराहीम के नर्सिंग होम पर बुल्डोजर एक्शन भी हो गया।
लेकिन जो सच्चाई सामने आ रही है, वह इस मामले में पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा कर रही है। क्योंकि रोहित सैन का गला रेतने के बाद हमलावर भाग गए थे, तभी मौके पर पहुंची पुलिस ने तुरंत घायल युवक को डा. फराहीम के अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उसकी नाजुक हालत को देखते हुए डा. फराहीम ने उसे मेरठ ले जाने की बात कही। इस दौरान एक दरोगा वहां अस्पताल में मौजूद था।
अब बात करते हैं सीसीटीवी फुटेज की। डा. फराहीम के अस्पताल के सामने मौजूद सीसीटीवी कैमरे में बाहर का दृश्य पूरा नजर आ रहा है। इसमें शोर मचता है और एक तरफ से भीड़ एक युवक को जो हरे रंग की कमीज पहने हुए होता है, उसे पकड़ कर मारते पीटते आती है। इस दौरान डा. फराहीम भी बाहर आकर देखते हैं कि मामला क्या है? तभी भीतर मौजूद दरोगा भी बाहर आता है और उक्त युवक को भीड़ से बचाकर नर्सिंग होम में ले जाने का प्रयास करता है। लेकिन भीड़ उक्त युवक पर हमला बोल देती है। दरोगा किसी तरह युवक को नर्सिंग होम के भीतर ले जाता है। लेकिन भीड़ वहां भी पहुंचकर तोड़फोड़ करती है।
ये लगाया था आरोप
हत्या के बाद डा. फराहीम पर आरोप लगाया गया था, कि हत्या के बाद एक हत्यारा नर्सिंग होम के भीतर जाकर छिप गया था। जिसे डा. फराहीम ने शरण दी थी। इसी के चलते डा. फराहीम को आरोपी बनाया गया था। लेकिन अब सीसीटीवी कैमरे की फुटेज सही और झूठ को पूरी तरह स्पष्ट कर रही हैं।
दरोगा पर क्यों नही किया विश्वास
अब सवाल ये उठता है कि जो दरोगा उस वक्त डा. फराहीम के अस्पताल में मौजूद था। उसके बयान पर पुलिस अधिकारियों ने क्यों नहीं कार्रवाई की? एक बेगुनाह को कैसे दबाव में जेल भेज दिया गया।
न्यायालय में करेंगे साक्ष्य पेश
डा. फराहीम के पुत्र का कहना है कि पुलिस ने जिस तरह से राजनीतिक दबाव में उनके परिवार की मानहानि की है और उनके पिता की प्रतिष्ठा को धूमिल किया है। उसके लिए वह इन साक्ष्यों के साथ अब वह पिता को जेल से बाहर लाने के साथ ही उनके सम्मान के लिए भी न्यायालय में लड़ाई लड़ेंगे।