मुजफ्फरनगर। जल नमूनों के विश्लेषण एवं निरीक्षण में पाई गई कमियों के आधार पर करीब 31 फैक्टरियों को नोटिस जारी किया गया। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इनपर जुमार्ने की भी कार्रवाई की है। इसी के साथ खतौली के तीन लोगों पर गंगा नदी को प्रदूषित करने के मामले में मुकदमा दर्ज कराया गया है।
नई मंडी स्थित उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कार्यालय पर क्षेत्रीय अधिकारी अंकित सिंह ने पत्रकारों को बताया कि विभाग प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों पर सख्त कार्रवाई कर रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले दो माह में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, ग्राउंड वाटर डिपार्टमेंट एवं जिला प्रशासन की ओर से जिले में स्थित मुख्य जल प्रदूषणकारी उद्योगों पल्प एंड पेपर, शुगर इकाई, डिस्टिलरी आदि के संयुक्त निरीक्षण किए गए हैं।
जिसमें उद्योगों, नदियों एवं नालों से लगभग 200 जल नमूने एकत्र कर सील करते हुए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की केंद्रीय प्रयोगशालाओं में विश्लेषित कराए गए। जिसमें कमियों के आधार पर लगभग 31 जल प्रदूषणकारी उद्योगों के खिलाफ जल अधिनियम 1974 की धारा 33ए के तहत कार्रवाई की संस्तुति बोर्ड मुख्यालय लखनऊ भेजी गई है।
उन्होंने बताया कि गंग नहर खतौली के किनारे केमिकल युक्त पॉलिथीन की धुलाई कर गंगा नदी को प्रदूषित किए जाने पर विभाग की ओर से निरीक्षण कराया गया। जिसमें पाया गया कि गंग नहर के किनारे साजिद पुत्र जाबिर, शानु पुत्र मजाहिर और खालिद पुत्र युसुफ निवासी खतौली खुले स्थल पर शुगर मिल की चीनी के खाली कट्टे व तिरपाल आदि की धुलाई प्लांट के बाहर गड्ढों में पानी भरकर एवं गंग नहर में करते हैं। इनके खिलाफ एफआईआर कराई गई है।
रुड़की की फैक्टरियों पर की गई थी कार्रवाई
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी अंकित सिंह ने बताया कि शुक्रताल घाट पर बूढ़ी गंगा में वर्षा ऋतु के दौरान अचानक रंग की समस्या एवं घुलित आॅक्सीजन की मात्रा में अत्यधिक कमी पाई जा रही थी। जिसके बाद केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड दिल्ली, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने लक्सर स्थित औद्योगिक क्षेत्र में निरीक्षण किया। जिसमें पाया गया कि लक्सर स्थित चीनी मिल एवं डिस्टलरी इकाई की ओर से वर्षा ऋतु में अशुद्धिकृत उत्प्रवाह नाले के माध्यम से गंगा नदी में निस्तारित कर दिया जाता था, जिससे शुक्रताल घाट पर बूढ़ी गंगा की जल गुणवत्ता पर विपरीत प्रभाव परिलक्षित होता है। दोनों उद्योगों के खिलाफ थाना भोपा पर मुकदमा दर्ज कराते हुए करीब एक करोड़ रुपये का जुमार्ना भी लगाया गया था।