– तनख्वाह मांगने पर एएनएम स्टॉफ के साथ की जाती है अभद्रात
– पीड़ितों ने जिलाधिकारी से लगाई मदद की गुहार
– सीएचसी प्रभारी पर एएनएम को बंधवा मजदूर कहने का आरोप
शारदा रिपोर्टर
मेरठ। यूपी सरकार प्रदेश की जनता को सरकार द्वारा चलाई जा रही स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ देने के दावें करती है। इन योजनाओंं का सीधा लाभ आम जनता को मिले इसके लिए सरकार ने प्रदेश के प्रत्येक जिले में एएनएम स्टॉफ की नियुक्ति कर रखी है। यह स्टॉफ अपने क्षेत्र में गर्भवती महिलाओं को मातृ योजना जैसी सराकरी योजनाओं का लाभ दिलाती है। लेकिन एएनएम के जिम्मेदारी वाले कार्य के बदले उन्हें बेहद कम मानदेय मिलता है। यह मानदेय भी कई माह तक रूका रहता है। इसके साथ ही जब एएनएम स्टॉफ द्वारा मानदेय देर से मिलने या नहीं मिलने की वजह पूछी जाती है तो उनके साथ अभद्रता की जाती है। ऐसा ही मामला सीएचसी माछरा में सामने आया है जब यहां पीएचसी पर तैनात एमओआईसी डॉ. तरूण राजपूत द्वारा एएनएम स्टॉफ के साथ अभद्रता की गई। यहां तक की इन्हें बधुंवा मजदूर तक कहा गया। पीड़ित एएनएम स्टॉफ ने जिलाधिकारी से इंसाफ की गुहार लगाई है।
– कोरोना काल में निभाई थी अहम भूमिका
गौरतलब है कि कोरोना काल में जब दो साल तक सभी लोग अपने घरों में कैद होने को मजबूर हो गए थे। जब संक्रमण की बेकाबू रफ्तार लोगों को घरों में शिकार बना रही थी। लोग एक दूसरे से दूरियां बना रहे थे तो यही एएनएम स्टॉफ अपनी जान पर खेलकर आम जनता के पास जाकर संक्रमितों की पहचान करते हुए उनके इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा था।
– तीन हजार रूपये प्रतिमाह मिलता है मानदेय
स्वास्थ्य विभाग द्वारा नियुक्त एएनएम स्टॉफ को केवल तीन हजार रूपये प्रतिमाह मानदेय ही मिलता है। ऐसे में यह किस तरह अपना परिवार चलाती है यह बड़ा सवाल है।