- रखरखाव के अभाव में जर्जर हो चुकी है बिल्डिंग,
- पेयजल से लेकर सीवरेज तक की व्यवस्था नहीं दुरुस्त, लोग हो रहे परेशान।
शारदा रिपोर्टर मेरठ। शहर में नगर निगम के वार्डों में पड़ने वाली एमडीए की कुछ कॉलोनी राम भरोसे हैं। जहां एमडीए द्वारा बनाई गई ये कॉलोनियां अपने विकास के इंतजार में नरक से बदतर हो चुकी हैं। मानो एमडीए इनको बनाकर भूल गया कि, इनकी व्यवस्था में सुधार की भी जरूरत पड़ती है। यहां रहने वाले लोगों को भी बुनियादी सुविधाओं की आवश्यकता है, पीने का पानी, गंदे पानी की निकासी के लिए नालियां और सीवर, चलने के लिए सड़क की भी आवश्यकता होती है। हम बात कर रहे हैं वार्ड 33 में काजीपुर गांव से सटी कांशीराम कॉलोनी की। जहां रहने वाले लोग नरक से भी बेकार जिंदगी जीने को मजबूर हैं।
शहर की एमडीए कॉलोनियों की बदहाली किसी से छिपी नहीं है, लेकिन वार्ड 33 में स्थित कांशीराम कॉलोनी की स्थिति कुछ ज्यादा ही दयनीय है। 2010 में जब इस कॉलोनी के 2512 मकानों का एलॉटमेंट हुआ था, तब यहां रहने वाले परिवारों ने नए सपनों के साथ कदम रखा था। उम्मीद थी, कि एक बेहतर जिंदगी मिलेगी, बुनियादी सुविधाएं होंगी और प्रशासन उनकी सुध लेगा। लेकिन 14 साल बाद भी यह कॉलोनी बदहाल है, और यहां रहने वाले 5000 से अधिक लोग नरक से भी बदतर हालात में जीने को मजबूर हैं।
इस कॉलोनी में रहने वाले लोग आज भी पानी, सड़क, सीवर और साफ-सफाई जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। यहां बिन बरसात के पानी सड़कों पर भरा रहता है। गंदा पानी कॉलोनी की सड़कों पर ऐसा भर जाता है कि मानो बरसात के बाद पानी भर गया हो। हालात ये हैं कि कॉलोनी में रहने वालों के रिश्तेदार भी यहां आने से कतराते हैं। वहीं अगर बरसात हो जाए तो कॉलोनी में जलभराव इतना हो जाता है कि लोगों को घरों से निकलना मुश्किल हो जाता है। गंदे पानी की निकासी के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के कारण यहां नालियां और सीवर ओवरफ्लो होना यहां आम बात है।
पार्क खेलने लायक नहीं: कॉलोनी में बच्चों के लिए पार्क भी बनाए गए हैं, जिनकी हालत देखते ही बनती है। पार्कों की दीवारें ही नहीं बचीं, चारों ओर गंदगी का अंबार नजर आता है। यहां हजारों की संख्या में लोग रहते हैं। वोटर अपने मतों का प्रयोग भी करते हैं। जब चुनाव आते हैं, तो नेता यहां आकर बड़े-बड़े वादे करते हैं, फिर वो इस कॉलोनी को पूरी तरह भूल जाते हैं।
कभी भी गिर सकती हैं बिल्डिंग: इस कॉलोनी में तीन-तीन मंजिला बिल्डिंग बनी हैं, जिनमें हजारों महिला, पुरूष और बच्चे रहते हैं। पूरी बिल्डिंग मानों छतिग्रस्त स्थिति में पहुंच चुकी हैं। कॉलानी में जमा गंदा पानी बिल्डिंगों की नींव को कमजोर कर रहा है। साथ ही बिल्डिंगों की दीवारों में पेड़ उग चुके हैं और प्लास्टर टूट-टूटकर नीचे गिर चुका है। दीवारों की ईंटे साफ दिखाई देने लगी हैं। लोगों का कहना है कि ये बिल्डिंगें कब गिर जांएगी और बड़ा हादसा हो जाए, पता नहीं।
यह है प्रमुख समस्याएं
- कॉलोनी में चारों और गंदगी का अंबार लगा है।
- कॉलोनी की सभी सड़कें क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं।
- कॉलोनी की बिल्डिंग भी टूटकर गिरने लगी हैं।
- नालियों की जगह सड़कों पर गंदा पानी भरा रहता है।
- सीवर बंद हैं और नालिंया पूरी तरह खत्म हो चुकी हैं।
- पार्कों की दीवारों गायब हो चुकी है, वहां गंदगी रहती है।
- कॉलोनी में संक्रमण फैला रहता है और महामारी का डर है।
- खंभों पर लगी लाइटें भी खराब हो चुकी हैं।
सड़कें बन जाती हैं नालियां
कांशीराम कॉलोनी में रहने वालीं पिंकी, शांति शर्मा और सोनिया का कहना है कि हम लोग नरक से भी बदतर जिंदगी जी रहे हैं। पूरी कॉलोनी में सड़कें तो एकदम खत्म हो चुकी हैं, जो चलने लायक नहीं बची हैं। वहीं कॉलोनी में बनी सभी नालियां पूरी तरह टूट चुकी हैं, इनमें बहने वाला पानी सड़कों पर बहता है। इसके चलते यहां रहने वाले लोग सड़कों पर निकल भी नहीं पाते।
टूटे पाइप और गंदगी का अंबार
कॉलोनी में रहने वाली आशा, ऊषा और सुनीता यहां की बदहाल हालत दिखाती हैं। जहां बने फ्लैटों के गंदे पानी की निकासी वाले पाइप पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। जो धीरे-धीरे टूटकर नीचे गिर रहे हैं। सभी घरों का गंदा पानी बंद पड़ी नालियों में जाकर इकट्ठा हो जाता है और यह पानी सीवर में जाने के बजाय सड़कों पर इकट्ठा होता है। वहीं इन मकानों के बीच इतनी गंदगी बरपी हुई है कि लोगों का रहना मुश्किल हो गया है।
शुरू से अंत तक नरक
इस कॉलोनी में रहने वाले राहुल, मुनेश और राजकुमार यहां की बदहाली को दिखाते हैं और कहते हैं कि यहां शुरू से लेकर अंत तक नरक ही नजर आएगा। सड़के टूटी पड़ी हैं, नालियों की गंदगी सड़कों के किनारे पड़ी है, सीवर टूटे पड़े हैं और उनमें पानी बहता नजर नहीं आता, बल्कि गंदगी भरी हुई दिखती है। ऐसे में गंदा पानी कॉलोनी की सड़कों पर बहता है। यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि पिछले पंद्रह साल से इस कॉलोनी को कोई देखने तक नहीं आया, साफ-सफाई तो दूर की बात है।