कृषि में क्रांतिकारी परिवर्तन लाएगा कीट जीनोमिक्स

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  • सीसीएसयू के प्लांट प्रोटेक्शन विभाग में सम्मेलन का आयोशारदा

रिपोर्टर मेरठ। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, के प्लांट प्रोटेक्शन विभाग द्वारा आयोजित आधुनिक कृषि: नवाचार और सततता के लिए रेजिलियंट भविष्य विषयक राष्ट्रीय सम्मेलन में कई प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और कृषि के विभिन्न आयामों पर अपने विचार साझा किए। महत्वपूर्ण विषयों जैसे एकीकृत कीट प्रबंधन: फसल संरक्षण के लिए एंटोमोलॉजी में प्रगति कृषि में तकनीकी नवाचार और सतत मिट्टी और पौधा स्वास्थ्य के लिए सूक्ष्मजीवीय नवाचार पर गहन चर्चा के साथ हुई।

इस अवसर पर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली के वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रोफेसर एस. सुब्रमणियन ने कीट प्रबंधन के लिए जीनोमिक्स और माइक्रोबायोमिक्स दृष्टिकोण विषय पर विस्तृत व्याख्यान दिया। उन्होंने कीट जीनोमिक्स के महत्व को रेखांकित करते हुए बताया कि किस प्रकार यह कृषि में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकता है।  उनके व्याख्यान का मुख्य आकर्षण कीटों की फिंगरप्रिंटिंग, धान की फसल में ब्राउन प्लांट हॉपर प्रतिरोध जीन की खोज जैसे नवाचारी दृष्टिकोण थे। उन्होंने ट्रांसजेनिक फसलों जैसे बीटी कपास की प्रासंगिकता पर भी प्रकाश डाला और यह स्पष्ट किया कि कैसे ये तकनीकें कृषि उत्पादन में सुधार कर सकती हैं।

डॉ. सुब्रमणियन ने जीनोम संपादन के आधुनिक दृष्टिकोणों पर भी ध्यान केंद्रित किया और बताया कि किस प्रकार इन तकनीकों का उपयोग पौधों और कीटों में उभरती समस्याओं के समाधान के लिए किया जा सकता है। उन्होंने इस क्षेत्र में आ रही चुनौतियों और उनके समाधान के लिए विभिन्न शोध क्षेत्रों में सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। प्रो. सिंह ने आईपीएम को टिकाऊ कृषि का आधार बताते हुए इसके पर्यावरण-अनुकूल और प्रभावी होने की बात कही। प्रतिभागियों ने उनके व्याख्यान को अत्यंत रुचि और प्रशंसा के साथ सुना।

राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन के सत्र में एक और प्रमुख वक्ता, प्रो. शैलेन्द्र सिंह गौरव, आनुवंशिकी और प्रजनन, विभाग ने पौधा कीटों के नियंत्रण और प्रबंधन में नैनो तकनीक के विभिन्न दृष्टिकोण पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। प्रो. गौरव ने नैनो तकनीक के क्रांतिकारी उपयोगों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि किस प्रकार इस तकनीक का उपयोग पौधा  संरक्षण में किया जा सकता है। उन्होंने नैनो-कणों के उपयोग से कीटनाशकों की प्रभावशीलता बढ़ाने और पर्यावरण पर उनके दुष्प्रभाव को कम करने के तरीकों पर विस्तार से चर्चा की। इसके साथ ही, उन्होंने नैनो तकनीक आधारित कीटनाशक वितरण प्रणाली और इसके लाभों को समझाया। राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन 100 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए गए और देश के विभिन्न राज्यों के विभिन्न युवा वैज्ञानिकों एवं शोधकतार्ओं ने इसमें भाग लिया।

 

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