शारदा रिपोर्टर
मेरठ। नगर निगम व नगर पालिका द्वारा उन व्यापारियों से हाऊस टैक्स वसूला जा रहा है जिनके व्यापारिक संस्थान किराए के है। ऐसे में व्यापारियों का हाऊस टैक्स के नाम पर जमकर उत्पीड़न किया जा रहा है। व्यापारियों की समस्यसाओं को लेकर व्यापारी नेता ने जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा है।
गुरूवार को उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के प्रदेश अध्यक्ष लोकेश कुमार अग्रवाल ने जिलामुख्यालय पहुंचकर सीएम के नाम ज्ञापन सौंपा। उन्होंने नगर निगम, नगर पालिका व नगर पंचायत में बकाया हाउस टैक्स पर ब्याज मूल धन से भी अधिक होने की बात कही। इस कारण हाउस टैक्स का बकाया वसूली नहीं हो पा रहा है। उन्होने बिजली विभाग की तरह एकमुश्त समाधान योजना बनाकर की मांग की है। जिसमे दंड ब्याज की माफी कर मूल धन आसान किस्तों जमा कराए जाने का प्रावधान है। इस तरह की योजना आने से भारी मात्रा में बकाया हाउस टैक्स की राशि स्थानीय निकायों को प्राप्त हो सकेगी। जिससे स्थानीय निकायों की स्थिति में सुधार होगा तथा आम जनता को भारी राहत मिलेगी।
– किराएदार व्यापारियों से हो रही वसूली
लोकेश अग्रवाल ने कहा कि हाउस टैक्स बकाया होने पर निकायों द्वारा सीलिंग की कार्यवाही की जा रही है। जिसमें मकान मालिक से वसूली न कर किराएदार व्यापारियों की दुकानों को सील किया जा रहा है। इससे व्यापार के साथ-साथ सरकार का राजस्व भी प्रभावित होता है। व्यापारी नेता ने अनुरोध किया कि जब किराएदार द्वारा मकान मालिक को किराया दिया जाता है, तो हाउस टैक्स जमा करने की जिम्मेदारी मकान मालिक की होनी चाहिए। हाउस टैक्स बाकी होने पर किराएदार के कब्जे वाली सम्पत्ति को सील न कर मकान मालिक के विरूद्ध हाउस टैक्स वसूली की कार्यवाही की जाए। यदि जरूरी हो तो किराया स्थानीय निकाय के हित में अटैच कर लिया जाए। वहीं, अधिकांश दुकानों में पानी के कनेक्शन की आवश्यता नहीं होती है, परन्तु स्थानीय निकाय द्वारा गृहकर के बिलों सभी से जलकर वसूला जा रहा है। जिन दुकानों पर पानी का कनेक्शन नहीं है वहां से जलकर की वसूली समाप्त किये जाने के आदेश पारित करने की कृपा करें।
इसके साथ ही स्थानीय निकाय द्वारा पॉलिथीन पाबंदी के नाम पर फुटकर के छोटे दुकानदारों पर जुमार्ना किया जा रहा है। प्रतिबन्धित पोलोथीन के उत्पादन पर रोक नहीं लगाई जा रही है। चालान व जुमार्ना के स्थान पर प्रतिबन्धित पोलोथीन के निर्माण पर रोक लगाने की मांग की गई। नाले व नाली की सफाई करते समय कूड़ा (सिल्ट) कई दिन तक दुकानों के सामने पड़ा रहता। गंदगी से ग्राहकों को भारी असुविधा होती है तथा बीमारी फैलने का खतरा होता है। स्थानीय निकाय द्वारा नामान्तरण शुल्क बहुत अधिक बढ़ा दिया गया है, जिस वजह से अधिकांश व्यक्ति नामान्तरण नहीं करा रहे हैं तथा नए बने भवनों का नाम दर्ज नहीं होने से हाउस टैक्स का नुकसान स्थनीय निकाय को हो रहा है। नामान्तरण शुल्क न्यूनतम 500 व अधिकतम 5000 किये जाने की मांग की गई।
व्यापारियों समाज विभागों के लाइसेंस व रजिस्ट्रेशन रिनवाल व रिटर्न के असहनीय भार से पीड़ित है। स्थानीय निकाय द्वारा व्यापारियों को भारी लाइसेंस शुल्क के साथ स्थानीय निकाय का लाइसेंस लेने के लिए मजबूर किया जा रहा है। लाइसेंस न लेने पर लेट फीस व जुमार्ना लगाने की बात कहीं जा रही है लाइसेंसों की की अधिकता से व्यापारी पीड़ित है।