- किसानों को रोकने के लिए दिल्ली और नोएडा पुलिस ने की है खास तैयारी।
नई दिल्ली: मांगों को लेकर किसानों का दिल्ली कूच आज। किसानों के आह्वान के बाद नोएडा और दिल्ली पुलिस अलर्ट मोड पर है, नोएडा से लगने वाले दिल्ली के सभी बॉर्डर पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। कई किसान नेता नजरबंद किए गए हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा की अगुवाई में आज हजारों किसान दिल्ली कूच करेंगे। इससे एक दिन पहले रविवार (1 दिसंबर 2024) को किसानों और गौतमबुद्ध जिला प्रशासन के बीच हाईलेवल मीटिंग हुई थी, लेकिन इसमें सहमति नहीं बन सकी थी। किसान लंबे समय से नोएडा की तीनों अथॉरिटी का घेराव कर रहे हैं। रविवार को जब मांगों पर सहमति नहीं बनी तो उन्होंने ‘दिल्ली चलो’ का ऐलान कर दिया।
किसानों के आह्वान के बाद नोएडा और दिल्ली पुलिस अलर्ट मोड पर है,। नोएडा से लगने वाले दिल्ली के सभी बॉर्डर पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। कई किसान नेता नजरबंद किए गए हैं, आइए आपको बताते हैं कि ये किसानों का कौन सा संगठन है जिसने दिल्ली कूच का ऐलान किया है, साथ ही इनकी क्या मांगें हैं।
ये संगठन हैं इसमें शामिल?
फिलहाल ग्रेटर नोएडा के जो किसान दिल्ली मार्च कर रहे हैं, उसकी अगुवाई भारतीय किसान परिषद (BKP) कर रहा है। इस परिषद में किसान मजदूर मोर्चा (KMM) और संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) जैसे कई अन्य किसान संगठन शामिल हैं। BKP नेता सुखबीर खलीफा के नेतृत्व में पहला समूह आज दोपहर 12 बजे नोएडा के महामाया फ्लाईओवर के नीचे से अपना मार्च शुरू करेगा।
किसानों की मांग क्या है?
- पुराने भूमि अधिग्रहण कानून के तहत प्रभावित किसानों को 10% प्लॉट और 64.7% बढ़ा हुआ मुआवजा दिया जाए।
- 1 जनवरी 2014 के बाद अधिग्रहित भूमि पर बाजार दर का चार गुना मुआवजा और 20% प्लॉट दिया जाए।
- भूमिहीन किसानों के बच्चों को रोजगार और पुनर्वास का लाभ दिया जाए।
- हाई पावर कमेटी की ओर से पास किए गए मुद्दों पर सरकारी आदेश जारी किया जाए।
- आबादी क्षेत्र का उचित निस्तारण किया जाना चाहिए।
क्या है किसानों का प्लान?
किसान दिल्ली मार्च के लिए सबसे पहले महामाया फ्लाईओवर के पास जुटेंगे। यहां दोपहर 12 बजे से दिल्ली की ओर बढ़ेंगे। इस दौरान वह पैदल और ट्रैक्टर से मार्च करेंगे।
रविवार को संयुक्त किसान मोर्चा के पदाधिकारियों की नोएडा अथॉरिटी, पुलिस और जिला प्रशासन के उच्चाधिकारियों के साथ बैठक हुई। ये बैठक यमुना प्राधिकरण के सभागार में करीब 3 घंटे तक चली. हालांकि, वार्ता विफल रही। किसानों का कहना है कि अधिकारियों ने कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया है।
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