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एक पुरानी रेलवे आरक्षण प्रणाली पर आधारित कहानी

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तत्काल: एक पुरानी रेलवे आरक्षण प्रणाली पर आधारित कहानी
तत्काल: एक पुरानी रेलवे आरक्षण प्रणाली पर आधारित कहानी---
-अरुण कुमार खरे ( कानपुर)

तत्काल। एक पुरानी रेलवे आरक्षण प्रणाली पर आधारित कहानी – उस समय तत्काल में रिजर्वेशन कराने के लिए लोगों को लाइन में लगकर बहुत सी दिक्कतों को झेलने के साथ भरपूर मनोरंजन भी होता था। उसी समय के तत्काल रिजर्वेशन हाल की एक जीती जागती कहानी है।

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सीन (आरम्भ)

मुम्बई के मालाड की एक बस्ती में किराये के एक कमरे में रहने वाले दो युवक अजय और विजय रूम पार्टनर हैं। दोनों अलग अलग कम्पनी में कार्य करते हैं। शाम का साढ़े पांच बज चुका है। विजय कमरे के अन्दर पड़ी चारपाई पर बैठा मोबाइल पर गेम खेल रहा है। अजय के कमरे के अन्दर दाखिल होते ही उसकी जेब में रखा मोबाइल बज उठता है।

अजय: ( मोबाइल स्क्रीन पर इन्कमिंग नम्बर देखते हुए ) अरे यह तो मेरे बाबू का मोबाइल नम्बर है। ( फोन रिसीव करते हुए ) हेलो…

अजय के बाबू: ( दूसरी तरफ से ) हेलो बेटा, मै तेरा बाबू बोल रहा हूँ।

अजय: जी बाबू जी चरण स्पर्श, कैसे हैं आप?

 

अजय के बाबू: अच्छा हूँ, और तू कैसा है बेटा ?

अजय: बाबू जी मै यहाँ पर ठीक हूँ और वहाँ पर अम्मा कैसी हैं?

अजय के बाबू: बेटा तेरी अम्मा बिल्कुल ठीक हैं। बेटा तेरी अम्मा को तुमसे कुछ जरूरी बात करनी थी।

(अजय की अम्मा को फोन पकड़ाते हुए) ले तू खुद ही अपनी अम्मा से सारी बात जान ले।

अजय की अम्मा: (मोबाइल पकड़कर बात करते हुए) बेटा अजय मैंने तेरे लिए एक लड़की पसन्द कर ली है। और लड़की वालों को सत्ताइस तारीख को लड़की दिखाने के लिए भी बुला लिया है। इसलिए बेटा तुम छुट्टी लेकर किसी तरह मुम्बई से कानपुर सत्ताइस तारीख के पहले पहले आ जाओ और तुम भी लड़की देखकर पसन्द कर लो। तुमको लड़की पसन्द आते ही उसी समय शादी भी पक्की कर देते हैं। इसलिए बेटा किसी तरह की बहानेबाजी मत करना। लड़की देखने जरूर आना, क्योंकि हमें घर में बहू का बड़ी बेसब्री से इंतजार है।

अजय: ठीक है अम्मा, हम कानपुर आने की पूरी कोशिश करेंगे।

अजय की अम्मा: अच्छा बेटा ठीक है। अब फोन रखते हैं।

अजय: ठीक है अम्मा नमस्ते।

           विजय मोबाइल पर गेम खेलना छोड़ अजय को चारपाई पर बैठाते हुए…..

 

विजय : (अजय को चारपाई पर बैठाते हुए) बैठ यार किससे बातें कर रहा था?

अजय : यार किसी से नहीं घर में अम्मा बाबू से बातें हो रही थीं। कह रहे थे कि सत्ताइस तारीख को लड़की वाले लड़की दिखाने के लिए आ रहे हैं। इसलिए मुझे सत्ताइस तारीख के पहले कानपुर बुलाया है।

विजय : अच्छी बात है तू जल्दी से रिजर्वेशन कराके घर पहुंच और लड़की पसन्द कर शादी करा। फिर क्या है तेरा ये यार बाराती बनकर लड़की वालों के यहाँ जाएगा और खूब मजे लूटेगा।

अजय : यार विजय तो फिर मै अभी इसी वक्त बी टी स्टेशन जाकर रिजर्वेशन की पोजीशन का पता लगाता हूँ।

विजय : हां अजय तू जाकर रिजर्वेशन का पता कर।

   अजय बी टी स्टेशन जाने के लिए कमरे से बाहर निकल लेता है।

सीन ( अगला )

अजय बी टी स्टेशन पर खड़ा एक बड़े से टी वी स्क्रीन पर ट्रेनों के आरक्षण स्थिति पर नजर डाल रहा है। टी वी स्क्रीन पर आरक्षण स्थिति ज्यादातर ट्रेनों की एक से डेढ़ माह तक फुल हो चुकी है।

अजय : (टी वी स्क्रीन पर आरक्षण स्थिति पर नजर डालते हुए अपने आप से कहते हुए) यार आरक्षण तो मिलने वाला नहीं। अब क्या किया जाए? (चलते हुए) चलो कमरे चलते हैं फिर वहीं पर सोचते हैं कि क्या करना है।

 

 

सीन ( अगला )

अजय कमरे में प्रवेश करता है।

विजय : ( अजय को देखकर) और अजय क्या पोजीशन है रिजर्वेशन की ?

अजय : यार पूछो मत, सारी ट्रेनों के रिजर्वेशन एक से डेढ़ महीने तक के फुल हो चुके हैं। अब क्या किया जाए?

विजय : अब तो एक ही चारा बचता है तत्काल का। अजय अब तुझे तत्काल सेवा का रिजर्वेशन ही कराने के लिए ट्राई करना पड़ेगा। आज उन्नीस तारीख है। कल सुबह बीस तारीख को तू तत्काल सेवा के लिए ट्राई करेगा, तो ठीक पांचवें दिन की टिकट बुक होगी। यानि चौबीस तारीख की । इस तरह कल के बाद परसों जाकर टिकट ट्राई करने पर एक दिन और आगे की टिकट मिलेगी। इस तरह टिकट ट्राई करने के लिए तेरे पास तीन दिन का समय है।

अजय : यार तू बात बिल्कुल सही कह रहा है, पर तू ये तो बता कि टिकट के लिए कौन से स्टेशन पर कितने बजे जाऊं?

विजय : तू अन्धेरी चला जा सुबह ठीक चार बजे उठकर। क्योंकि रिजर्वेशन हाल में चार बजे से ही लाइन लगनी चालू हो जाती है।

अजय : ठीक है विजय मैं सुबह जल्दी उठकर जाता हूँ।

 

( आगे की कहानी आपको अगले सीन में पढ़ने को मिलेगी  )

 

https://shardaexpress.com/tatkaal/ek-puraanee-relave-aarakshan-pranaalee-par-aadhaarit-kahaanee-ka-padhie-agala-seen/

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