- मेडिकल कालेज मेरठ में हुआ विलियम्स-ब्यूरेन सिंड्रोम का सफल इलाज।
शारदा न्यूज, मेरठ। दिल की गंभीर बीमारी से जूझ रहे आठ साल के मासूम बच्चे का सफल इलाज किया गया।
मेडिकल के मीडिया प्रभारी डा. वीडी पाण्डेय ने बताया मेडिकल में एक 8 साल का लड़का सीने में दर्द और बहुत जल्दी थक जाने की शिकायत के साथ ह्रदय रोग विभाग की ओपीडी में डा. सीबी पाण्डेय से सलाह ली।
डा सी बी पाण्डेय ने बताया कि जांच करने पर बच्चा विलियम्स-ब्यूरेन सिंड्रोम नामक एक दुर्लभ आनुवांशिक बीमारी से पीड़ित पाया गया। जिसमें चेहरे की विशिष्ठ आकृति, हल्की मानसिक मंदता, अजनबियों के प्रति अत्यधिक मित्रता और महाधमनी (जो ऑक्सीजन युक्त रक्त ले जाती है) हृदय से शरीर के बाकी हिस्सों तक) के सुप्रावाल्वुलर हिस्से की संकीर्णता शामिल है। इकोकार्डियोग्राफी से मरीज में गम्भीर सुप्रावाल्वुलर एओर्टिक स्टेनोसिस (संकुचन) की उपस्थिति की पुष्टि हुई। गम्भीर स्टेनोसिस के परिणामस्वरूप संकुचित खंड में नीचे की ओर रक्त का प्रवाह कम हो जाता है और हृदय पर अनुचित दबाव पड़ता है। यदि समय पर पहचान नहीं की जाती है या इलाज नहीं किया जाता है तो रोगी के सीने में दर्द, सांस की तकलीफ, चक्कर आना और आगे चल कर दिल की विफलता (घात) के लक्षण विकसित होते हैं। रोग के प्रारंभिक स्थिति के महत्व को पहचानते हुए बच्चे को कैथ लैब ले जाया गया। जिसमें फिमोरल आर्टरी (जांघ में एक धमनी) के माध्यम से महाधमनी के संकुचित हिस्से में एक गुब्बारा डालना और प्रभावित खंड में गुब्बारा फुलाना शामिल था। क्योंकि हृदय संकुचन (कार्डियक कॉन्ट्रेक्शन) के दौरान गुब्बारा विस्थापित हो सकता है और गुब्बारा फुलाने के दौरान हृदय की पंपिंग की शक्ति को कम करने के लिए हृदय को अत्यधिक उच्च हृदय गति (200-250 बीट प्रति मिनट) पर चलाना पड़ता है।
एओरटिक बैलून डाइलेटेशन विधि द्वारा डा. सीबी पाण्डेय, डा. शशांक पाण्डेय एवं उनकी टीम ने बीना चीरा लगाये सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया। मरीज में अब कोई लक्षण नहीं हैं और उसे छुट्टी कर दी गई है।
प्रधानाचार्य डा. आरसी गुप्ता ने डा. सीबी पाण्डेय व डा. शशांक पाण्डेय और उनकी पूरी टीम को बिना चीरा लगाये ऑपरेशन के लिए बधाई दी। डा. गुप्ता ने बताया कि बच्चे का आपरेशन राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के अंर्तगत निःशुल्क किया गया है।