मंदिर परिसर में नहीं रहेगा रथ, शहर में निकलेगी जगन्नाथ यात्रा, पढ़िए पूरी खबर

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  • राज्यसभा सांसद डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने एडीएम सिटी से जताई नाराजगी,
  • यात्रा के लिये 11 सदस्यीय कमेटी बनाने के निर्देश।

शारदा रिपोर्टर

मेरठ। शहर की ऐतिहासिक जगन्नाथ यात्रा सात जुलाई को निकलेगी। यात्रा निकालने को लेकर दो गुटों में चल रहे विवाद को देखते हुए एडीएम सिटी ने यात्रा के मुख्य रथ को मंदिर परिसर में ही रखने का आदेश दिया था। इस आदेश पर राज्यसभा सांसद डाक्टर लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने एडीएम सिटी से वार्ता कर नाराजगी जाहिर की है। तय किया गया कि ग्यारह सदस्यीय कमेटी इस जगन्नाथ यात्रा का संचालन करेगी।

दो सौ सालों से सदर स्थित बिल्वेश्वर नाथ मंदिर से निकलने वाली जगन्नाथ यात्रा दो कमेटियों के बीच चल रही वर्चस्व की लड़ाई के कारण प्रशासनिक दांव पेंच में फंस गई है। आपसी लड़ाई और एक दूसरे को नीचा दिखाने की प्रवृत्ति के कारण जब मामला प्रशासन के पाले में पहुंचा, तो एडीएम सिटी ब्रजेश कुमार सिंह ने दोनों गुटों के प्रतिनिधियों को बुलाकर शहर में जगन्नाथ यात्रा न निकालने के लिये तैयार कर लिया।

तय किया गया कि इस बार मंदिर परिसर में ही जगन्नाथ यात्रा निकाली जाएगी। जब इस बात की जानकारी सांसद डाक्टर लक्ष्मीकांत वाजपेयी को हुई, तो उन्होंने एडीएम सिटी से नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि जब 1987 में कर्फ्यू के दौरान डीएम की सख्ती के बाद भी जगन्नाथ यात्रा निकल सकती है, तो इस बार प्रशासन को यात्रा को लेकर इस तरह के निर्णय नहीं लेना चाहिये।

सांसद ने यह भी कहा कि दोनों कमेटियों के सदस्यों को दबाव में लेकर जो निर्णय लिया है, वो सरासर गलत है। बेहतर यह होगा कि दोनों गुटों से पांच-पांच नाम लिये जाएं। इसके अलावा शहर और कैंट क्षेत्र के निर्विवाद व्यक्ति को इसमें शामिल करके भव्य तरीके से यात्रा को निकाला जाए। सांसद के इस कदम से कमेटी के दोनों पक्षों में हड़कंप मचा हुआ है।

दरअसल दोनों कमेटियों में एक दो नाम ऐसे हैं, जिनके कारण आयोजन को लेकर बवाल हो रहा है। वहीं भगवान जगन्नाथ यात्रा कमेटी के अध्यक्ष राजेन्द्र वर्मा और दूसरी कमेटी के अध्यक्ष विजय गोयल विज्जी ने बुधवार को एडीएम सिटी के साथ बैठक की थी। जिसमें निर्णय हुआ था कि मुख्य रथ मंदिर परिसर में ही रहेगा और यात्रा निकाली जाएगी।

ऐसे में अब डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी की पहल के बाद जगन्नाथ रथ यात्रा निकलने का रास्ता साफ होता नजर आ रहा है। इसमें एक बात और अहम है कि हिंदुओं के अलावा अन्य धर्मों के लोगों ने भी यात्रा को परंपरागत तरीके से आयोजित करने पर जोर दिया है।

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