-आईसीएआर केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थानमें सम्मेलन
शारदा रिपोर्टर,मेरठ– आईसीएआर केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थानमें भारत की पहली सिंथेटिक गाय की दुधारू नस्ल फ्रीजवाल के उपयोग के लिए रणनीतियां और स्वदेशी मवेशी संसाधनों के आनुवंशिक सुधार विषय पर एक विचार-मंथन सत्र आयोजित किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत में तीन नई अनुसंधान प्रयोगशालाओं का उद्घाटन किया गया। जिनके नाम हैं दूध प्रसंस्करण सह ऊष्मायन प्रयोगशाला; ऊतक संवर्धन और जैव रसायन प्रयोगशाला और पशु चिकित्सा नैदानिक प्रयोगशाला।
संस्थान के निदेशक डॉ. ए.के. मोहंती के स्वागत भाषण के साथ हुई, जिसके बाद डॉ. सुशील कुमार, प्रभागाध्यक्ष, गोवंश आनुवंशिकी एवं प्रजनन प्रभाग द्वारा गाय की पहली सिंथेटिक दुधारू नस्ल फ्रीजवाल के विकास की एक संक्षिप्त यात्रा के बारे में बताया गया, जिसमें 62.5 प्रतिशत रक्त होल्सटीन फ्रीजियन का और 37.5 प्रतिशत रक्त साहीवाल का है।
गाय की फ्रीजवाल नस्ल को भारत भर में फैले 37 सैन्य डेयरी फार्मों की मदद से विकसित किया गया है, इसलिए इस नस्ल की गायें 305 दिनों के परिपक्व दुग्धकाल में लगभग 4 प्रतिशत दूध वसा के साथ 4000 लीटर से अधिक दूध देने में सक्षम हैं। इस नस्ल पशु भारत की सभी कृषि जलवायु परिस्थितियों के लिए सबसे उपयुक्त हैं। इस नस्ल को पहले ही भारत की पहली सिंथेटिक गाय की दुधारू नस्ल के रूप में आईसीएआर-एनबीएजीआर, करनाल में पंजीकृत किया जा चुका है।
फ्रीजवाल गाय के विकास में शामिल सभी वैज्ञानिकों ने अपने अनुभव साझा किए और सभी प्रतिभागियों ने देश में कम दूध देने वाले गोवंश के सुधार के लिए फ्रीजवाल का उपयोग करने के लिए अपनी विशेषज्ञ राय दी। फ्रीजवाल गाय के विकास में शामिल सभी वैज्ञानिकों को उनके योगदान और सार्थक प्रयासों के लिए स्मृति चिन्ह प्रदान करके सम्मानित किया गया।अंत में, सत्र के अध्यक्ष डॉ. राघवेंद्र भट्ट, डीडीजी ने अपना समापन भाषण दिया और फ्रीजवाल नस्ल के विकास के लिए उनके सार्थक प्रयासों के लिए सभी वैज्ञानिकों और योगदानकतार्ओं को बधाई दी। कार्यक्रम प्रभारी पीएमई डॉ. राजीव रंजन कुमार, प्रधान वैज्ञानिक द्वारा सभी को औपचारिक धन्यवाद ज्ञापित किया।