लगातार दस मैच जीतने के बाद टीम इंडिया ओवर कॉन्फिडेंस का शिकार हो गई। ऑस्ट्रेलिया ने भारत को छ: विकेट से हरा कर वर्ल्ड कप का खिताब अपने नाम कर लिया। टीम इंडिया के शेर फाइनल में ढेर हो गए। हैरानी की बात ये है टीम इंडिया ने 11 ओवर से लेकर 50 ओवर तक सिर्फ चार चौके ही लगा सकी। वहीं ऑस्ट्रेलिया के ट्रेविस हेड ने शानदार शतक लगा कर टीम को जीत दिला दी।
वर्ल्ड कप में भारतीय खिलाड़ी लगातार छाए रहे और दस मैच जीत कर फाइनल में पहुंचे थे। सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड को हराने में टीम इंडिया के पसीने छूट गए थे। फाइनल में टीम इंडिया ने टॉस हारने के बाद रोहित शर्मा की ताबड़तोड़ बैटिंग के दम पर पहले पावर प्ले में जब अस्सी रन बनाए तो लगा था टीम तीन सौ पार कर लेगी लेकिन 11 ओवर से लेकर 50 ओवर तक टीम रन बनाने के लिए तरसती रही और इन ओवरों में सिर्फ चार चौके ही लग पाए। यही से टीम इंडिया की हार की नींव पड चुकी थी। आज साफ दिख रहा था कि टीम इंडिया जबरदस्त दबाव में है। हालांकि जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद शमी ने तीन विकेट गिरा दिए थे लेकिन भारतीय बॉलर इस दबाव को बनाकर नही रख पाए और इसका फायदा ओपनर ट्रेविस हेड ने उठाया और टीम को छठी बार वर्ल्ड चैंपियन बना दिया।
हालांकि घरेलू मैदान में भारत ने 2011 में वर्ल्ड कप जीता था लेकिन इस बार सुपर फॉर्म में चल रही टीम इंडिया बुरी तरह से दबाव में आ गई और हार को स्वीकार कर लिया। हालांकि देखा जाए तो रोहित शर्मा से एक बड़ी चूक हुई और बेवजह के गैर जिम्मेदाराना शॉट मार कर आउट हो गए। यहीं से टीम इंडिया बैकफुट में आनी शुरू हो गई थी।
ऑस्ट्रेलिया के बारे में कहा जाता है कि टीम को अपने जोखिम पर ख़त्म करें। आप उन्हें एक ताबूत में पैक करें और उन्हें निराशा की गहराइयों में दफना दें, फिर भी वे मिट्टी से अंकुरित बीज की तरह, आसमान की ओर बढ़ने का रास्ता ढूंढ लेंगे। अपने पहले कुछ गेम हार गए और इस विश्व कप के विभिन्न चरणों में अनभिज्ञता की स्थिति में दिखे। लेकिन फाइनल में आकर, वे भारत के खिलाफ व्यापक जीत हासिल करने के लिए उन सभी टुकड़ों को एक साथ लाने में कामयाब रहे। ऐसा करके उन्होंने घरेलू टीम के विश्व कप जीतने के सिलसिले को भी तोड़ दिया है। भारत की शुरुआत 2011 में हुई और डाउन अंडर की टीम ने उस रिकॉर्ड को ख़त्म कर दिया।