सीएए लागू कर भाजपा ने बढ़ाई विपक्ष की मुसीबत

Share post:

Date:

– लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा का मास्टर स्ट्रोक
– सीएए पर विपक्ष ने विरोध किया तो हिंदू और चुप्पी साधी तो मुस्लिम नाराज


अनुज मित्तल (समाचार संपादक)

मेरठ। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता होली के बाद कभी भी लग सकती है। 22 जनवरी को अयोध्या में भव्य नवनिर्मित राममंदिर का लोकार्पण के बाद अब सीएए लागू कर भाजपा ने मास्टर स्ट्रोक खेल दिया है। सीएए लागू करने की घोषणा विपक्ष के गले में फांस बन गई है। क्योंकि यह उसे न उगलते बनेगी और ना ही निगलते।

भाजपा एक बार पूरी तरह हिंदू कार्ड खेलने की तैयारी कर चुकी है। राममंदिर का मुददा जो कई दशकों से चला आ रहा था, उसका निर्माण कर भाजपा ने अपना वादा पूरा कर दिया। इसके साथ ही अब सीएए भी लागू कर दिया है। हालांकि सीएए दिसंबर 2019 में संसद में पारित हो चुका है। लेकिन तब पूरे देश में मुस्लिम समाज ने इसके विरोध में जमकर उपद्रव किया था।

सीएए के विरोध में मेरठ में भी 20 दिसंबर को हापुड़ रोड, भूमिया पुल आदि क्षेत्र में जमकर तोड़फोड़, आगजनी, पथराव और फायरिंग हुई थी। जिसमें पुलिस फायरिंग में पांच लोगों की मौत हो गई थी। इस विरोध को देखते हुए सीएए को तब ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था।

लेकिन अब भाजपा ने लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने से ठीक पहले सीएए को लागू कर अपना एजेंडा साफ कर दिया है। यदि सीएए का विरोध होता है और कोई उपद्रव होता है, तो इसमें भी भाजपा राजनैतिक लाभ लेगी। क्योंकि ऐसी स्थिति में भाजपा हिंदु वोटों का धु्रवीकरण करने में कामयाब रहेगी। जो पूरी तरह उसके पक्ष में जाएगा।

विपक्ष के सामने खड़ा हुआ संकट

सीएए के नियम प्रभावी होने की स्थिति में विपक्ष के सामने संकट खड़ा होगा। क्योंकि यदि वह चुप्पी साधते हैं तो मुस्लिम वर्ग उनसे नाराज हो जाएगा। लेकिन अगर वह विरोध करते हैं, तो हिंदु वोट उनसे कटकर भाजपा के पक्ष में एकजुट हो जाएगा। ऐसे में विपक्ष चुनाव से ठीक पहले भाजपा की इस चाल में फंस चुका है।

क्या है सीएए

सीएए मतलब है नागरिकता संशोधन अधिनियम। इसमें भाजपा ने जो नियम बनाया है, उसके तहत तीन पड़ोसी देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए गैर मुस्लिम लोग जिनमें छह प्रमुख जातियां हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी हैं। उनको भारतीय नागरिकता देने के नियम को आसान किया गया है। जबकि मुस्लिमों के लिए नियम में कोई बदलाव नहीं है। इसी कारण से मुस्लिम समाज के लोग भड़के हुए हैं।

क्यों है मुस्लिम नाराज

सबसे ज्यादा नागरिकता के मामले मुस्लिम समाज के ही फंसे हुए हैं। इनमें अधिकांश बांग्लादेश और पाकिस्तान से जुड़े हैं। भारत में बड़ी संख्या में युवकों की शादी पाकिस्तान में हुई हैं, ऐसे में उनकी पत्नियों को भारत की नागरिकता लेने में भारी दिक्कतें आ रही हैं। अभी भी साठ प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं ऐसी हैं जिनके पौत्र और नातिन हो चुके हैं, लेकिन वह भारत की नागरिकता नहीं ले पाई हैं।

केरल और पश्चिमी बंगाल सरकार ने नकारा

केंद्र सरकार ने भले ही सीएए लागू कर दिया हो, लेकिन दो राज्यों की सरकारों ने सीधे-सीधे इसे चुनौती दे दी है। केरल और पश्चिमी बंगाल सरकार ने इसे अपने यहां लागू न करने की बात कही है। क्योंकि यदि यह लागू होता है, तो निश्चित रूप से भविष्य में इन दोनों राज्यों की सरकारों के लिए खतरा बन जाएगा।

यूपी में विपक्ष कर रहा मंथन

सीएए लागू होने के बाद यह यूपी में भी लागू होना तय है। ऐसे में लोकसभा चुनाव में समाजवादी और बहुजन समाज पार्टी जिन्हें चुनाव में मुस्लिम वोटों से ही पूरी उम्मीद बनी हुई है, उन्हें अब सीएए को लेकर नये सिरे से रणनीति तैयार करनी होगी। क्योंकि मुस्लिम समाज विपक्ष से सीएए को खुलकर विरोध चाहता है, लेकिन चुनावी माहौल इसकी अनुमति नहीं देता है। ऐसे में विपक्ष बहुत ही सधी हुई रणनीति के साथ सीएए पर चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में जुट गया है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Popular

More like this
Related

विराट कोहली ने पाकिस्तान के खिलाफ इतिहास रचा

ज्ञान प्रकाशचैंपियंस ट्रॉफी में आज की रात दुबई में...

निगम को हैंडओवर के बाद भी सुविधाओं को जूझ रही कॉलोनियां

2020 में नगर निगम को हैंड ओवर हुई थी...

प्रयागराज में भीषण जाम, बोर्ड परीक्षा टाली गई

संगम से दस किमी पहले रोके जा रहे वाहन एजेंसी...