ज्ञान प्रकाश
जिन लोगों ने फिल्म दीवार, जॉनी मेरा नाम और पड़ोसन देखी है उसमें रूढ़िवादी मां को भी देखा होगा। दुलारी नाम की मासूम चेहरे वाली मां ने हिंदी फिल्मों में जो मुकाम हासिल किया वो कभी भुलाया नहीं जा सकता है।
हिंदी भाषा की 60 फिल्मों में अपने अभिनय का डंका बजवाने वाली दुलारी को फिल्म अलबेला में लोगों ने काफी पसंद किया था। पेइंग गेस्ट, जब प्यार किसी से होता है, आन मिलो सजना, आए दिन बहार के,तीसरी कसम, आया सावन झूम के जैसी फिल्मों में दुलारी को काफी पसंद किया गया था।
84 वर्ष की आयु में महाराष्ट्र के पुणे में एक वृद्धाश्रम में उनका निधन हो गया था। वे अल्जाइमर रोग से पीड़ित थीं और दो साल से अधिक समय से बिस्तर पर थीं। उनके जीवन के अंतिम वर्षों में सिने एंड टीवी आर्टिस्ट एसोसिएशन ने उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान करना शुरू किया था, जब अनुभवी अभिनेत्री वहीदा रहमान ने उनका मामला उठाया था। आज भी दुलारी को जब भी फिल्मों में देखता हूं तो उनका वो चेहरा आंखों के सामने आ जाता है जिसमें उनकी मधुर मुस्कान लोगो को आकर्षित करती थी।