Friday, June 27, 2025
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जीआईएस सर्वे लागू करने में फिसड्डी निकला नगर निगम !

– यदि ऐसे ही चला तो निगम को शासन से मिलने वाले अनुदान में हो जाएगी कटौती।


शारदा रिपोर्टर

मेरठ। शहर में जीआईएस सर्वे लागू करने में मेरठ नगर निगम फिसड्डी निकला। अगर आगे भी यही हाल रहा और मेरठ में जीआईएस सर्वे लागू नहीं हुआ तो नगर निगम को शासन से मिलने वाले अनुदान में कटौती हो जाएगी। इससे मेरठ के विकास पर भारी असर पड़ेगा और रैंक भी खराब हो जाएगी। इससे मेरठ नगर निगम के अफसरों को पसीना आ गया है।

दरअसल, जीआईएस सर्वे लागू ना होने पर शासन गंभीर है। नगर विकास प्रमुख सचिव अमृत: अभिजात ने मेरठ नगर अफसरों को जीआईएस सर्वे लागू करने के निर्देश जारी के दिए हैं। इसके बाद शासन ने जीआईएस सर्वे की आपत्तियों का जल्द से जल्द निस्तारण करने का अभियान छेड़ दिया है। अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि, जल्द इनका समाधान करें. नगर निगम की कोशिश है कि इस महीने के आखिर तक मेरठ नगर निगम में जीआईएस सर्वे लागू कर दिया जाए, क्योंकि अनुदान में कटौती हुई तो विकास की रफ्तार धीमी पड़ेगी और अफसर जनता के निशाने पर आ जाएंगे।

2022 के होना था मेरठ में जीआईएस सर्वे लागू: मेरठ नगर निगम में 2022 में जीआईएस सर्वे लागू होना था, लेकिन तमाम खामियों ओ आरोपो के चलते मेरठ में ये लागू ना हो सका। जीआईएस सर्वे पर पार्षद और जनता हमेशा उंगली उठाती रही, नतीजा मामला लटक गया और इसे लागू करने का आदेश धूल फांकता रहा।जबकि, यूपी के 16 नगर निगम में जीआईएस सर्वे लागू हो चुका है। जीआईएस सर्वे लागू होने से 16 नगर निगम की हाउस टैक्स में वसूली बढ़ेगी और शासन से भी अनुदान ज्यादा मिलेगा, लेकिन मेरठ नगर निगम पीछे ही नहीं यूपी के सबसे फिसड्डी है।

वहीं, अगर मेरठ नगर निगम में जीआईएस सर्वे लागू हो गया तो मेरठ नगर निगम क्षेत्र के भवनों से कर वसूली 170 करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगी। जीआईएस सर्वे में चार लाख संपत्तियां मिली हैं, जिनमें एक लाख 48 हजार नए भवन शामिल हैं। जिन पर हाउस टैक्स ही नहीं लगा था। पिछले साल नगर निगम को कर करेतर के 120 करोड़ की वसूली हुई थी, जो जीआईएस सर्वे लागू होने पर 170 करोड़ तक पहुंच जाएगी। नवंबर माह में नगर निगम ने 55 करोड़ रुपए की वसूली का लक्ष्य रखा है, लेकिन अभी तक मात्र 29 करोड़ रुपए ही वसूली हुई है।

महापौर बोले, जल्द लागू करेंगे जीआईएस सर्वे

मेरठ नगर निगम को 26 करोड़ रुपए महीना और 300 करोड़ रुपए सालाना राज्य वित्त आयोग से मिलते हैं, 15 वें वित्त से 150 करोड़ सालाना मिलते हैं, बोर्ड फंड से 127 करोड़ वार्षिक आय होती है, यदि अनुदान में कटौती हुई तो ये धनराशि आधी रह जाएगी। इस बारे में मेरठ के महापौर हरिकांत अहलूवालिया का कहना है कि, जल्द जीआईएस सर्वे लागू करेंगे, अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि जल्द आपत्तियों का निस्तारण करें। महापौर ने कहा कि, हाउस टैक्स नहीं बढ़ा है, पुरानी दरों से हाउस टैक्स के बिल जारी किए जा रहें हैं। पुरानी दरों से ही हाउस टैक्स की वसूली हो रही है।

 

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