शारदा न्यूज़, संवाददाता |
मेरठ। भगवान श्री भोलेनाथ की धर्म पत्नी माता पार्वती के दस दिशाओं के स्वरूप दस महा विधा कहलाती है। माँ बगला मुखी दस महा विधा में आठवा स्वरूप कहलाती है। और शनि ग्रह की स्वामिनी भी कहलाती है। और तंत्र शास्त्र में वर्णित है। यह दैवी स्तंभन शक्ति ब्रहमाण्ड नायक श्री विष्णु के द्वारा माँ राज राज्जेशवरी त्रिपुरा सुंदरी के तप और प्रार्थना से प्रकट हुई है।
इनकी पूजा भगवान श्री कृष्ण के कहने पर पांडव ने कौरवों पर विजय प्राप्ति के लिए की जिसका मंदिर नलखेडा मध्य प्रदेश में माँ बगला मुखी शक्ति पीठ है। और भगवान श्री राम जी ने राजा रावण पर विजय प्राप्ति के लिए कांगडा हिमाचल में माँ की प्रतिमा प्रतिष्ठा कर प्राप्त की थी और माँ के परम पूज्य भक्त स्वामी जी महाराज संस्थापक दतिया पीताम्बरा पीठ मध्य प्रदेश में कराई श्री अश्वाथामा की पूजास्थली महा शमशान में।
माँ बगला मुखी की पूजा रोग नियंत्रण, मुकदमेबाज़ी में विजय शत्रु दमन मानिसक प्रताड़ना निवाराण, राज भवन मे सत्ता प्राप्त कराने के लिए की जाती है। नेता ,अभिनेता , राजनीतिक दल बिजनेस पर नियंत्रण के लिए करते है। हवन जाप यज्ञाहुति से माँ को प्रसन्न करा जाता है। यह देवी की पूजा अर्चना हवन प्रसाद वस्त्र सब पीले रंग का समावेश रहता है। माँ बगला मुखी के मंदिर और पुरोहित बहुत ही कम है। और कैलाश प्रकाश स्टेडियम चौराह साकेत में प्रतिष्ठित चतुर्भुजा अष्ट धातु का आदित्य विग्रह बगला मुखी माँ का सान्निध्य मे माँ धुमावती, छिन्नमस्ततिका, राज राज्जेशवरी त्रिपुरा सुंदरी, महाकाली कोलकातावाली, भव सागर से पार उतारने वाली महा विधा शव आसन बनाने बाली तारा, अष्ट लक्ष्मी कमला चंड मुन्ड का विनाश करने वाली और ब्रज की अधिष्ठित्रि माँ कात्यायनी दैवी माँ सरस्वती साथ में विध्न विनायक के आठ स्वरूप भगवान श्री सिता राम संग श्री हनुमान का पंच मुखी दर्शन भगवान वैंकटेश तिरूपति बाला जी संग भु देवी श्री देवी का आशीर्वाद प्राप्त हौता है।
यहा औकंरेशवर नर्मदेश्वर स्वयंभू शिव लागी पर जनेऊ और त्रिनेत्र के दर्शन रूद्र अभिषेक का आध्यातमिक लाभ है। मंदिर की यज्ञशाला में काम रूप कामाख्या स्वरूप त्रिकोण योनि हवन कुण्ड (आसाम मां कामाख्या गुवाहाटी मां कामाख्या ) पर हवन जाप यज्ञाहुति के माध्यम से आपको हर कार्य में पुर्णतया प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त होगा
माँ बगला मुखी आचार्य प्रदीप गोस्वामी राज पुरोहित, मां बगला मुखी साधाक मंदिर पुरोहित व्यवस्थापक संस्थापक