- श्रम संहिताओं को वापस लेने की मांग।
शारदा रिपोर्टर मेरठ। इंडस्ट्रियल लॉ रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन ने कलक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर सरकार के खिलाफ विरोध जताया। एसोसिएशन का कहना है कि सरकार द्वारा लाई गई चार श्रम संहिताएं मजदूरों के अधिकारों को प्रभावित करती हैं। एसोसिएशन के अनुसार, इन संहिताओं से मजदूरों के हितकारी कानून समाप्त हो जाएंगे। नौकरियों का ठेका प्रथा बढ़ेगी और खाली पदों पर नियुक्तियां नहीं होंगी। प्रदर्शनकारियों ने 26 सूत्रीय मांगपत्र प्रस्तुत किया।
प्रमुख मांगों में श्रम संहिताओं को वापस लेने के अलावा किसानों की फसलों का उचित मूल्य, कर्ज माफी और सार्वजनिक उद्योगों के निजीकरण पर रोक शामिल हैं। शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार की मांग की गई है। गेस्ट टीचर्स को नियमित करने और खाली पदों पर भर्ती की मांग भी रखी गई है।
न्यायिक व्यवस्था में सुधार के लिए सक्षम न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति, वकीलों के लिए सुरक्षा कानून और बुजुर्ग वकीलों को पेंशन की मांग की गई है। आंगनवाड़ी और आशा वर्कर्स को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने की मांग भी शामिल है। न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये करने और शिक्षा-स्वास्थ्य सेवाओं के निजीकरण को रोकने की मांग भी की गई है।