- पलवल में सड़क हादसे का हुए थे दोनों शिकार।
शारदा रिपोर्टर मेरठ। हरियाणा के पलवल हाईवे पर सड़क हादसे का शिकार हुए अभिनव उर्फ अंशुल और अमित अग्रवाल के शव आधी रात को पोस्टमार्टम के बाद मेरठ पहुंचे। दोनों परिवारों में कोहराम मच गया। घर के सदस्यों को संभालना मुश्किल हो रहा था। जैसे तैसे सभी को संभाला गया, जिसके बाद सुबह अभिनव का परिजनों ने सूरजकुण्ड शमशान घाट पर अंतिम संस्कार किया तो अमित को लेकर परिजन बृजघाट रवाना हो गए।
बुढ़ानागेट स्वामीपाड़ा निवासी अभिनव उर्फ अंशुल अग्रवाल सोमवार सुबह शास्त्रीनगर निवासी अपने दोस्त अमित अग्रवाल के साथ कार द्वारा मथुरा रवाना हुए। दोनों दुकान चलाते हैं जिसका सामान लेने उन्हें मथुरा जाना था। करीब 2 घंटे बाद ही पलवल के निकट एक्सप्रेस वे पर उनकी कार आगे चल रहे ट्रॉले से जा टकराई। हादसा इतना भीषण था कि मौके पर ही दोनों की मौत हो गई। आधी कार ट्रोले के नीचे घुस गई, जिस कारण दोनों को संभलने तक का मौका नहीं मिला।
अभिनव की पत्नी राशि बदहवास थी। वह बार बार यही कह रही थी कि मुझे भी साथ ले जाओ या बच्चों के लिए वापस आ जाओ। दोनों बच्चों का भी रो रोकर बुरा हाल था। उधर, अमित के घर पर भी कोहराम मचा था। लोगों का कहना था कि कड़े संघर्ष के बाद अमित ने यह मुकाम खड़ा किया था। अभिनव और अमित दुकान चला रहे थे। अभिनव अपने पिता की सालों पुरानी दुकान जवाहर बुक डिपो के अलावा खुद की पूजन सामग्री की दुकान भी संभालते थे। अमित अग्रवाल ने भी शास्त्री नगर में पूजन सामग्री की ही दुकान खोली हुई थी। दोनों हर 10 दिन बाद मथुरा से माल लाया करते थे। जन्माष्टमी का त्यौहार आ रहा था इसलिए वह सोमवार को मथुरा जाने के लिए निकले लेकिन बीच रास्ते में ही मौत ने झपट्टा मार दिया।
जिला अस्पताल पलवल में अभिनव और अमित के शवों का पोस्टमार्टम हुआ इसके बाद रात में ही परिजन शव लेकर मेरठ के लिए रवाना हो गए। आधी रात को शव घर पहुंचे तो कोहराम मच गया। अभिनव के पिता जितेंद्र कुमार अग्रवाल, पत्नी शशि और पुत्रवधू राशि को संभाल नहीं पा रहे थे। दोनों बच्चों पार्थ और सुखदा का भी रो रोकर बुरा हाल था। जिसने अपने परिवार को संभाला। उधर अमित की पत्नी मीनाक्षी बेसुध हो गई। बेटा अवियंग रोते परिवार को टकटकी लगाई देख रहा था।
पोस्टमार्टम से बाहर आते ही बदल गए शव
मंगलवार सुबह परिजन अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे थे। अर्थी पर ले जाने लगे तो पता चला कि शव अभिनव का नहीं है। परिवार के कुछ सदस्यों और दोस्तों ने जाकर देखा तो वास्तव में शव बदल गया था। पता चला की रात को जब पोस्टमार्टम हाउस से दोनों शव बाहर निकले तो एंबुलेंस में रखते वक्त वह बदल गए। तुरंत शास्त्री नगर में अमित के परिवार से संपर्क किया गया। वह बृजघाट के लिए रवाना हो रहे थे। उन्होंने चेहरा देखा तो पता चला कि वह अभिनव का शव था। इसके बाद पार्षद संदीप रेवड़ी ने एंबुलेंस मंगाई और अमित का शव शास्त्री नगर और अभिनव का शव स्वामीपाड़ा लेकर आ गए।
इकलौते बेटे को पिता ने दी मुखाग्नि
सूरजकुंड श्मशान घाट पर हर आंख नम थी। बेटा बहुत छोटा था इसलिए पिता जितेंद्र कुमार अग्रवाल को ही मुखाग्नि देनी थी। अचानक बेटे का चेहरा देखकर जितेंद्र फफक कर रो पड़े। आसपास मौजूद रिश्तेदारों ने उन्हें संभाला। इसके बाद उन्होंने इकलौते बेटे को मुखाग्नि दी। पास ही कुछ दूरी पर अभिनव का बेटा पार्थ भी मौजूद टकटकी लगाए उस नजारे को देख रहा था। इस दौरान जितने भी वहां लोग मौजूद थे सभी की आंख भर आई। पिता का यही कहना था कि बच्चे बुढ़ापे में अपने मां-बाप का सहारा बनते हैं। अब उनका सहारा कौन बनेगा।