- मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में जाना सफल हुआ।
- नर्मदा नदी(Narmada River) के धुआंधार झरना और बर्गी डैम(Bargi Dam) भी देखा।
अपूर्वा प्रकाश मुखर्जी ।
इंसान अपनी जिंदगी में शायद एक बार भी जंगल के राजा शेर और टाइगर को नहीं देख पाता है। तेंदुआ शहर में आने के कारण दिख सकता है। इस बार की गर्मियों की छुट्टी में मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में परिवार के साथ जाने को मिला। जंगल में घुसते ही एक नहीं दो टाइगर देख कर दिल खुशी से झूम उठा। लोग टाइगर देखने की उम्मीद लेकर जंगलों में भटकते है लेकिन उनको टाइगर के दर्शन नहीं होते।
बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान भारत के प्रसिद्ध बाघ निवासों में से एक है, जो 75 से अधिक बाघों को आश्रय देता है। 1156 वर्ग किमी के विशाल वन क्षेत्र में फैला हुआ।
बांधवगढ़ बाघों की सर्वाधिक संख्या वाले स्थानों में से एक है, तथा यहां तेंदुए, जंगली कुत्ते, भालू, जंगली सूअर, गौर, चित्तीदार हिरण, सांभर, चौसिंघा, चिंकारा, रतेल आदि जैसे जानवरों के साथ-साथ पक्षियों और तितलियों की कई प्रजातियां पाई जाती हैं, जो वन्यजीव प्रेमियों के लिए स्वर्ग है।
बांधवगढ़ में सभी ज़ोन में सुबह और शाम को पंजीकृत जिप्सियों द्वारा वन्यजीव सफ़ारी आयोजित की जाती है। सफ़ारी की बुकिंग ऑनलाइन की जाती है जबकि सीमित सफ़ारी “वॉक-इन” के लिए पर्यटक काउंटर पर बुक की जाती है। हाथी की सवारी, कैंटर में सफ़ारी जैसे अन्य भ्रमण काउंटर से बुक किए जा सकते हैं।
मेरठ से बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व जाने की प्लानिंग बनाई गई थी। मैं अपने पति सत्यजीत मुखर्जी और भाई वैभव प्रकाश के साथ संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस से जबलपुर अपने मौसाजी अजय श्रीवास्तव, मौसी कल्पना और भाई रचित श्रीवास्तव के घर गए। रचित भाई ने बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की सफारी के लिए जिप्सी और रिजॉर्ट बुक करवा दिया था।
इससे पहले हम लोग मौसाजी आशीष श्रीवास्तव, उर्मिला श्रीवास्तव, प्रखर, प्रेरित और श्रेया निगम के साथ भेड़ा घाट पर नर्मदा नदी के धुंआधार जल प्रपात को देख कर आनंदित हुए और संगमरमर की खूबसूरत चट्टानों के नीचे बहती गहरी नर्मदा नदी में बोटिंग का आनंद लिया। इस प्वाइंट पर कई फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है। भेड़ा घाट के बाद नर्मदा नदी पर बने बर्गी डैम गए और क्रूज की सवारी का आनंद लिया।
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व ( Bandhavgarh National Park )
टाइगर रिजर्व जाने के लिए ताला गांव सभी पर्यटन अवसंरचना और गतिविधियों का केंद्र बिंदु है। यह सड़क मार्ग से नजदीकी रेलवे स्टेशनों उमरिया (32 किलोमीटर), कटनी (97 किलोमीटर), शहडोल (97 किलोमीटर) और जबलपुर (170 किलोमीटर) से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। जबलपुर (170 किलोमीटर) और खजुराहो (240 किलोमीटर) निकटतम हवाई अड्डे हैं।
सुबह पांच बजे दो जिप्सियों से पूरा परिवार टाइगर दर्शन के लिए निकल पड़ा। ताला गांव से थोड़ा आगे ही चले थे एक टाइगर महोदय चैन की नींद ले रहे थे। सारी जिप्सियां वहीं रुक गई। जिंदगी में अब तक टाइगर सिर्फ नेशनल ज्योग्राफिक या एनिमल प्लेनेट में ही देखे थे। टाइगर दर्शन करके अभी कुछ सोच ही रही थी थोड़ा आगे चले तो एक टाइगर शाही अंदाज में सड़क पार करते हुए दिखा।
टाइगर को अपनी आंखों के सामने से निकलता देख दिल रोमांच से भर गया। पति और छोटा भाई तो एकटक देखते रहे। बांधवगढ़ में जंगली जानवरों की कमी नहीं।
रास्ते में हिरण के भी हुए दर्शन
रास्ते में हिरण, चीतल, सांभर, सुअर और हाथी के अलावा मोरों के दर्शन भी हुए। बांधवगढ़ हर हाल में सफारी के लिए बेस्ट जगह है। अगर आप लोगों को मौका मिले तो जरूर जाएं।
रास्ते में हाथी को भी देख सफर और भी बेस्ट लगने लगा