सरधना के कपसाढ़ गांव का मामला।
शारदा रिपोर्टर मेरठ। ऐतिहासिक तथ्यों को विकृत कर सरधना के गांव कपसाढ़ में गुर्जर सम्राट मिहिरभोज को राजपूत लिखकर बोर्ड लगाए जाने के विरोध में गुरुवार को गुर्जर समाज के दर्जनों लोगों ने कलक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने एक ज्ञापन डीएम कार्यालय पर सौंपकर आरोप लगाते हुए बताया कि, ग्राम कपसाढ़ (विधानसभा व थाना सरधना) में गुर्जर सम्राट मिहिरभोज के संबंध में ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ की गई है।
गुर्जर समाज के लोगों ने कहा कि वहां लगाए गए बोर्ड पर उनकी जाति राजपूत लिखी गई है, जो की ऐतिहासिक तथ्यों एवं संदभी के विपरीत है। उन्होंने कहा कि, गुर्जर सम्राट मिहिरभोज गुर्जर प्रतिहार वंश के पराक्रमी शासक थे। उनके गौरवशाली इतिहास में किसी भी प्रकार का विकृतिकरण न केवल गुर्जर समाज की भावनाओं को आहत करता है, बल्कि शौर्य एवं पराक्रम के इतिहास के साथ भी छेड़छाड़ है।
उन्होंने कहा कि, इतिहास से छेड़छाड़ कर ये हमारे महापुरुर्षों की गरिमा और जन भवनाओं को ठेस पहुंचाने का सुनियोजित षड्यंत्र है। जिस प्रकार सार्वजनिक स्थल पर गलत जानकारी अंकित कर समाज को गुमराह करने का प्रयास किया गया है, वो किसी भी सूरत में बर्दाश्त करने योग्य नहीं है। बताया कि, यह केवल गुर्जर समाज की उकसाने और क्षेत्र में शांति भंग कर दो समाजी में परस्पर जातीय टकराव कराने की साजिश है। इसलिए हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि, हमारे महापुरुषों के नाम, जाति अथवा इतिहास के साथ छेड़छाड़ किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जो भी व्यक्ति अथवा संगठन इस तरह के कृत्य से कानून व्यवस्था बिगाड़ने पर उतारू है, उसके विरुद्ध सख्त से सख्त कानूनी कार्यवाही की जानी चाहिए।
प्रदर्शन कर रहे लोगों ने ग्राम कपसाढ़ में लगे गलत एवं भ्रामक बोर्ड की तत्काल हटाया जाने। दोषियों की पहचान कर उनके विरुद्ध कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाने। गुर्जर सम्राट मिहिरभोज की वास्तविक पहचान और सम्मान को यथावत बनाए रखने के लिए प्रशासन स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करने। भविष्य में इतिहास या महापुरुषों के साथ किसी प्रकार की छेड़छाड़ न हो, इसके लिए ठोस निगरानी तंत्र स्थापित किया जाने की मांग की।
उन्होंने कहा कि अगर इस मामले में तत्काल उचित कानूनी कार्रवाई नहीं की गई तो गुर्जर समाज स्वयं सड़को पर उतरकर आंदोलन करने को बाध्य होगा। मेरठ मंडल के साथ साथ देश के विभिन्न हिस्सों से गुर्जर समाज के लोग सड़क पर उतरने को बाध्य होंगे, जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी शासन व
प्रशासन की होगी।