शारदा न्यूज़, मेरठ। जब सूरज अपने शबाब के साथ, आकाश में अठखेलियां कर रहा था, आठ अक्टूबर, दिन रविवार 2023 को, मेरठ की सुनहरी वादियों में, गढ़ रोड पर होटल हारमोनी में, एक नया इतिहास रचा जा रहा था। भारतवर्ष और विदेश में अपने वजूद के साथ पहचाने, जाने वाली मेरठ एसथेटिक इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन ने, एक ऐसा प्रोग्राम ऑर्गेनाइज किया, जो शायद मेरठ की धरती पर आज तक नहीं हुआ है।
यह प्रोग्राम रहा मेरठ इंटरनेशनल लिटरेचर फेस्टिवल। भारत के कोने-कोने और बाहर से बहुत विदुषी लोगों ने इस प्रोग्राम में शिरकत की। जिन्हें सुनने के लिए कानों में मोन के साथ दिमाग में और दिल में शहनाई बज रही थी। इनामात देकर हर विदुषी को सम्मानित किया गया ।
ऐसे आलम में, मेरठ की सरजमीं से एक ऐसे गीतकार, ऐसे ग़ज़ल कर को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड देकर नवाजा गया।
आपको 45 साल पहले, स्वर कोकिला लता मंगेशकर जी ने जानम के खिताब से नवाजा था। आप हैं कृष्णा गोपाल जानम। आप पचपन साल से सिर्फ इश्क़ पर लिख रहे हैं।
आपका कहना है,
कि इंसान का अगर जिस्म निचोडा जाए और उसमें से अगर अरख निकले तो मोहब्बत के कतरे टपकने चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है, तो समझो कि इश्क़ अधूरा है। इश्क इश्क नहीं है। आपकी जुबान में जो इश्क़ है, उसके लिए वो ये शेर नज़र करते हैं,
मेरे मालिक तेरी दुनिया का ऐसा रंग हो जाए, की जो दिल है परिंदों का, वो दिल इंसान का हो जाए। हर मुडेर है इनकी, हर छत पर बसेरा है।
जहां तक पंख ले जाएं वहां तक इनका डेरा है। ना इनका गैर है कोई ना इनका तेरा मेरा है। मेरे मालिक तेरी दुनिया का ऐसा रंग हो जाए की जो दिल है परिंदों का वो दिल इंसान का हो जाए।