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Monday, November 3, 2025
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वायुसेना की चार इकाइयां सम्मानित

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  • राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने किए प्रेसिडेंट स्टैंडर्ड और कलर्स प्रदान।

गाजियाबाद। भारतीय वायुसेना के इतिहास में पहली बार वायुसेना की चार इकाइयों को प्रेसिडेंट स्टैंडर्ड और कलर्स से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज चार भारतीय वायु सेना इकाइयों को मानक और रंग प्रदान किया। कार्यक्रम में एयर चीफ मार्शल वी.आर चौधरी, केंद्रीय सड़क परिवहन राज्यमंत्री संसद वीके सिंह, प्रदेश सरकार में मंत्री जितिन प्रसाद भी शामिल हुए।

अपने संबोधन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि उन्हें भारतीय वायुसेना के जाबांजों की बहादुरी पर काफी गर्व है। वायुसेना ने आजादी की लड़ाई से लेकर कई युद्ध में विजय हासिल कर देश का मान बढ़ाया। वायुसेना ने न सिर्फ युद्ध जीतकर अपना सर्वोच्च योगदान दिया बल्कि आत्मनिर्भर भारत के बढ़ते कदम में टेक्नोलॉजी का बखूबी प्रयोग कर स्पेस प्रोग्राम में भी योगदान दे रही हैं। इतना ही नहीं, करगिल युद्ध में आॅपरेशन सफेद चलाकर दुश्मन को परास्त किया। उन्होंने महिला दिवस पर भारतीय वायुसेना में महिला वायु योद्धाएं, कार्यक्रम में शामिल महिलाएं और सभी को शुभकामनाएं दीं।

उन्होंने कहा कि मुझे बहुत खुशी होती है कि महिलाएं वायुसेना में शामिल होकर देश का नाम रोशन कर रही हैं।45 स्क्वाड्रन और 221 स्क्वाड्रन को राष्ट्रपति मानक और 11 बेस रिपेयर डिपो और 509 सिग्नल यूनिट को राष्ट्रपति ध्वज प्रदान किया। बता दें, राष्ट्रपति मानक और रंग किसी सशस्त्र बल की इकाई के लिए सर्वोच्च सैन्य सम्मान है। बता दें, राष्ट्रपति मानक और रंग किसी सशस्त्र बल की इकाई के लिए सर्वोच्च सैन्य सम्मान है।
45 स्क्वाड्रन की यह है खासियत

45 स्क्वाड्रन की स्थापना 1959 में हुई थीं। यह फ्लाइंग डैगर्स के नाम से भी मशहूर है। स्क्वाड्रन ने 1960 में पुर्तगाल शासन के खिलाफ गोवा की मुक्ति के लिए आॅपरेशन विजय में भाग लिया था। इसके अलावा, स्क्वाड्रन ने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी अहम भूमिक निभाई थी। स्क्वाड्रन पंजाब और राजस्थान सेक्टरों की वायु रक्षा के लिए जिम्मेदार थी। स्क्वाड्रन ने 258 मिसन उड़ाए थे।

221 स्क्वाड्रन की यह है खासियत

14 फरवरी 1963 को वैम्पायर विमान से सुसज्जित बैरकपुर में 221 स्क्वाड्रन की स्थापना हुई थी, जिसे वैलिएंट्स के नाम से भी जाना जाता है। गठन के करीब दो साल बाद ही स्क्वाड्रन को 1965 के भारत-पाक युद्ध में तैनात किया गया, जहां स्क्वाड्रन ने सराहनीय काम किया। अगस्त 1968 में स्क्वाड्रन र४-7 सुपरसोनिक अटैक फाइटर से पुन: सुसज्जित होने वाले पहले स्क्वाड्रनों में से एक था। 1971 के भारत-पाक युद्ध में भी पूर्वी थिएटर कमांड के साथ स्क्वाड्रन ने कंधे से कंधे मिलाकर काम किया। स्क्वाड्रन ने जवाबी कार्रवाई, हवाई सहायता और टोही मिशनों में शानदार काम किया।

11 बेस रिपेयर डिपो और 509 सिग्नल यूनिट की यह है खासियत

11 बेस रिपेयर डिपो अप्रैल 1974 में अस्तित्व में आया था। स्थापना ओझर, नासिक के रखरखाव कमान के तहत हुई थी। 11 बेस भारतीय वायुसेना का एक प्रमुख और एकमात्र लड़ाकू विमान बेस रिपेयर डिपो है। डिपो ने सबसे पहले र४-7 विमान की मरम्मत की थी। इसके बाद तो डिपो ने मिग-21, मिग-23 और मिग-29 विमानों के वेरिएंटो सहित तमाम विमानों की मरम्मत की है। 509 सिग्नल यूनिट की स्थापना एक मार्च 1965 में हुई थी। वर्तमान में यह मेघालय में वायु रक्षा दिशा केंद्र के रूप में काम कर रही है। 1971 का बांग्लादेश मुक्ति युद्ध में यूनिट का योगदान सराहनीय था।

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