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Thursday, December 25, 2025
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दिव्यांग छात्र मारपीट प्रकरण : मोहित रस्तोगी साथियों संग एसएसपी ऑफिस पहुंचे, न्याय और सुरक्षा की मांग की

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  • दिव्यांग छात्र प्रकरण : मोहित रस्तोगी ने साथियों संग एसएसपी को सौंपा सेक्रेटरी पत्र।

मेरठ। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में दिव्यांग शोध छात्र मोहित रस्तोगी के साथ हुई अभद्रता और मारपीट की घटना ने जिस तरह पूरे छात्र समुदाय को आहत किया है, उसका असर लगातार शहर और समाज में देखने को मिल रहा है। एक दिन पहले हुई इस घटना ने छात्रों के धैर्य की सीमाओं को तोड़ दिया और अब वे हर स्तर पर न्याय की मांग उठा रहे हैं। इसी कड़ी में आज मोहित रस्तोगी अपने साथियों हितेश रस्तोगी और अमित शर्मा के साथ वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुँचे उनके साथ सामाजिक कार्यकर्ता आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट आदेश प्रधान एसएसपी महोदय को विस्तारपूर्वक एक सेक्रेटरी पत्र सौंपा। इस पत्र में न केवल 27 अगस्त की घटना का पूरा ब्यौरा दिया गया, बल्कि पुराने मामलों की भी चर्चा करते हुए न्याय और सुरक्षा की मांग रखी गई।

 

 

पत्र सौंपने से पहले ही एसएसपी कार्यालय के बाहर दिव्यांग छात्रों में बेचैनी और गंभीरता साफ नज़र आ रही थी। मोहित रस्तोगी व्हीलचेयर पर बैठे थे, उनकी आँखों में गुस्सा कम और पीड़ा अधिक झलक रही थी। वे उस घटना को याद करते हुए बार-बार कह रहे थे कि यह अपमान केवल उनका नहीं बल्कि हर उस छात्र का है जो विश्वविद्यालय में सम्मानपूर्वक पढ़ाई करना चाहता है। जब एसपी महोदय से मुलाक़ात हुई तो मोहित ने पत्र उनके हाथ में सौंपा और कहा कि यह केवल एक शिकायत नहीं, बल्कि पूरे छात्र समुदाय की व्यथा है।

पत्र में विस्तार से लिखा गया था कि 26 अगस्त की सुबह विभागीय कार्य हेतु विश्वविद्यालय पहुँचे मोहित के साथ प्रोफेसर दुष्यंत चौहान ने गाली-गलौज की, उनकी दिव्यांगता का उपहास उड़ाया और धक्का-मुक्की तक कर डाली। पत्र में यह भी उल्लेख किया गया कि इस घटना से मोहित रस्तोगी मानसिक रूप से आहत हैं और अब विश्वविद्यालय का माहौल उनके लिए असुरक्षित प्रतीत होता है। आदेश प्रधान ने कहा कि यह घटना केवल व्यक्तिगत अपमान नहीं बल्कि शिक्षा के मंदिर में मानवीय मूल्यों और संविधानिक अधिकारों की खुलेआम धज्जियाँ उड़ाने जैसा है। आदेश प्रधान ने कहा कि प्रोफेसर चौहान का नाम पूर्व में भी कई विवादों और हिंसक घटनाओं से जुड़ा रहा है। छात्रों के साथ मारपीट और गाली-गलौज की घटनाएँ पहले भी हुईं और उनकी शिकायतें पुलिस और प्रशासन तक पहुँचाई गईं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं हुआ। उन शिकायतों को हमेशा दबा दिया गया और दोषी को संरक्षण दिया गया। यही कारण है कि जब 26 अगस्त को मोहित रस्तोगी पर हमला हुआ तो छात्रों का आक्रोश और गहरा हो गया।

सौंपे गए पत्र में यह चेतावनी भी दर्ज थी कि यदि इस बार भी कार्रवाई नहीं हुई तो छात्र समुदाय सड़क से लेकर अदालत तक संघर्ष करेगा। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि शिक्षा का मंदिर गुंडागर्दी का अड्डा नहीं बनने दिया जाएगा। यह पत्र दरअसल एक दस्तावेज़ है जो छात्रों के धैर्य, आक्रोश और न्याय की उम्मीद—तीनों को एक साथ सामने लाता है।

पत्र सौंपने के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए हर्ष ढाका ने भावुक स्वर में कहा कि वह शिक्षा प्राप्त करने आए हैं, अपमान और हिंसा झेलने नहीं। उन्होंने कहा कि दिव्यांग होना कोई अपराध नहीं और किसी को भी इस आधार पर अपमानित करने का अधिकार नहीं है। हितेश रस्तोगी ने कहा कि यह लड़ाई केवल मोहित की नहीं बल्कि हर छात्र की है।

उन्होंने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने हमेशा दोषियों को बचाने का काम किया और इसीलिए अब पुलिस की भूमिका और भी अहम हो गई है। अमित शर्मा ने कहा कि यदि न्याय नहीं मिला तो आंदोलन और उग्र होगा और अदालत का दरवाज़ा खटखटाने में भी छात्र पीछे नहीं हटेंगे।

पुलिस अधिकारियों ने अमित शर्मा और छात्रों की बातें ध्यान से सुनीं। उन्होंने पत्र को गंभीरता से लेते हुए कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाएगी और यदि प्रोफेसर दोषी पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई होगी। उन्होंने छात्रों को आश्वस्त किया कि उनकी सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं होने दी जाएगी।

आज का यह दृश्य केवल एक औपचारिक मुलाक़ात नहीं था। यह मुलाक़ात उस गहरी पीड़ा और आक्रोश का प्रतीक थी जिसे छात्र लगातार महसूस कर रहे हैं। मोहित रस्तोगी जैसे दिव्यांग छात्र का अपमान न केवल छात्रों के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए शर्मनाक है। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि जब शिक्षा संस्थानों में भी दिव्यांग छात्रों की गरिमा सुरक्षित नहीं है तो हम किस सभ्यता की ओर बढ़ रहे हैं।

 

 

आज सौंपा गया सेक्रेटरी पत्र केवल एक दस्तावेज़ नहीं बल्कि न्याय की पुकार है। यह आने वाले समय में छात्र आंदोलन की दिशा तय करेगा और यह भी बताएगा कि क्या प्रशासन वास्तव में न्याय दिलाने को तैयार है या फिर यह मामला भी पूर्व शिकायतों की तरह फाइलों में दबा दिया जाएगा। छात्रों ने स्पष्ट कहा है कि वे शांतिपूर्ण ढंग से न्याय की लड़ाई लड़ रहे हैं लेकिन यदि दोषियों को संरक्षण मिला तो वे व्यापक आंदोलन छेड़ने से पीछे नहीं हटेंगे।

मोहित रस्तोगी, हितेश रस्तोगी और अमित शर्मा हर्ष ढाका , प्रशांत त्यागी , नितिन गर्ग , मोहसिन , विकाश जाटव। अन्य दिव्यांग मौजूद रहे ।

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