– कमरे में अलग-थलग मिले शव, दोनों के मुंह से निकल रहा था झाग
मुरादाबाद। संभल के देवापुर गांव निवासी भूरे और रिंकू की फरीदाबाद में मौत हो गई। परिजनों ने बताया कि दोनों के शव कमरे में मिले और उनके मुंह से झांग निकल रहा था। दोनों के बीच गहरी दोस्ती थी। वह एक ठेकेदार के साथ काम करते थे। बनियाठेर थाना क्षेत्र के गांव देवापुर निवासी भूरे (20) और रिंकू (18) की फरीदाबाद के सीकरी में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। सोमवार को दोनों के शव उनके कमरे में पड़े मिले। पुलिस की सूचना पर परिजन मौके पर पहुंचे और मंगलवार की शाम दोनों के शव गांव ले आए।
थाना क्षेत्र के गांव देवापुर निवासी रिंकू पुत्र नत्थू और भूरे पुत्र प्रेमपाल फरीदाबाद के सीकरी में बीएसएनएल की लाइन बिछाने वाले ठेकेदार के साथ काम करते थे। परिजनों के अनुसार उन्हें सोमवार सुबह पुलिस से युवकों की मौत की सूचना मिली। जिसके बाद परिजन फरीदाबाद के लिए रवाना हो गए।
परिजनों ने बताया कि सीकरी में रविवार रात दोनों खाना खाकर कमरे में सोए थे। सोमवार सुबह काफी देर तक दोनों ने दरवाजा नहीं खोला। इस पर कर्मचारियों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने दरवाजा तोड़ा तो दोनों मृत मिले। बताया जा रहा है कि दोनों के मुंह और नाक से तरल पदार्थ और झाग निकल रहे थे।
पुलिस ने मंगलवार को दोनों का पीएम कराया। मंगलवार देर शाम परिजन दोनों का शव लेकर गांव लौटे तो परिजनों में चीख पुकार मच गई। युवकों की मौत की गांव का माहौल गमगीन है।
रविवार को आए थे रिश्ते वाले
रिंकू चार भाइयों में तीसरे नंबर का था। दो भाइयों की शादी हो चुकी है, जबकि रिंकू की शादी की बात चल रही थी। परिजनों ने अनुसार बृहस्पतिवार को रिंकू गांव आया था। रविवार को उसे लड़की वाले देखने आए थे। इसी दिन वह फरीदाबाद चला गया।
सोमवार सुबह उसकी मौत की सूचना पुलिस से मिली। रिंकू के पिता नत्थू लाल गांव में मजदूरी करते हैं। रिंकू की मौत से परिवार में चीख पुकार मची है। मां रामश्री का रो-रोक बुरा हाल है।
मजदूरी कर परिवार का हाथ बंटाता था भूरे
भूरे के परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है। जिस वजह से वह अपने परिवार का हाथ बंटाने के लिए मजदूरी करता था। जिस वजह से वह अक्सर बाहर ही रहता। वहीं से पैसे भेजकर अपने परिवार की मदद करता था। उसके पिता प्रेमपाल और छोटा भाई सुमित गांव में मेहनत मजदूरी करते हैं।
जब भूरे की मौत की सूचना गांव में पहुंची तो उनके होश उड़ गए। उसकी मां ललतेश कभी चुप हो जाती तो कभी दहाड़े मारकर रोने लगती। गांव की अन्य महिलाएं उन्हें ढांढस बंधाती, तो कभी अपने आंसू संभालती। भूरे की शादी नहीं हुई थी।