शहीद इंस्पेक्टर सुनील को पुलिस लाइन में दी गई अंतिम विदाई

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एडीजी, डीआईजी, डीएम और एसएसपी आदि ने दी सलामी


शारदा रिपोर्टर मेरठ। शामली में बदमाशों से मुठभेड़ के दौरान गोली लगने से घायल इंस्पेक्टर सुनील कुमार की मेदांता हॉस्पिटल में उपचार के दौरान मौत हो गई थी। बृहस्पतिवार सुबह राजकीय सम्मान के साथ पुलिस वैन में शहीद सुनील कुमार के पार्थिक शरीर को पुलिस लाइन लाया गया। इस दौरान सांसद अरुण गोविल,एडीजी धु्रव कांत ठाकुर, डीआईजी कलानिधि नैथानी, डीएम डाक्टर डाक्टर विजय कुमार सिंह , एसएसपी डाक्टर विपिन ताडा, एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह,एसटीएफ एसपी ब्रजेश कुमार सिंह सहित जिले के सभी सीओ और शहीद के परिवार के लोग मौजूद रहे। अधिकारियों ने पुलिस लाइन में 9:15 पर उन्हें नम आंखों से सलामी दी। सलामी के बाद शहीद के पार्थिक शरीर को उनके गांव सैनी के लिए रवाना कर दिया गया। जहां उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।

मेरठ के लाल एसटीएफ में तैनात इंस्पेक्टर सुनील कुमार पुत्र चरण सिंह मूल रूप से मेरठ के इंचौली थाना क्षेत्र के गांव सैनी के रहने वाले थे। सुनील कुमार एक सितंबर 1990 को यूपी पुलिस में सिपाही के पद पर भर्ती हुए थे। उन्होंने एसटीएफ का गठन होने के बाद 1997 में हरियाणा के मानेसर में कमांडो कोर्स किया था। और एक जनवरी 2009 में स्पेशल टास्क फोर्स में आ गए थे। 16 साल से वह एसटीएफ का हिस्सा थे।

सुनील कुमार ने 13 मार्च 2008 को जनपद फतेहपुर में हुई मुठभेड़ में ओमप्रकाश उर्फ उमर को मार गिराने में अपनी जान जोखिम में डाली और साहस और शौर्य के लिए उनको 16 सितंबर 2011 में आउट आॅफ ट्रेन प्रमोशन देकर हेड कांस्टेबल से प्लाटून कमांडर के पद से नवाजा गया था। बाद में उनका प्रमोशन दलनायक के पद पर हो गया था तभी से वह एसटीएफ की कमान संभाल रहे थे।

तीन दिन पहले शामली में बदमाशों से मुठभेड़ के बाद बदमाशों की तीन गोली लगने से वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे। डॉक्टरों के अनुसार इंस्पेक्टर सुनील कुमार को एक 315 बोर और दो 12 बोर की गोली लगी थी। जिनमें दो गोली उनके पेट और तीसरी लीवर के पास लगी थी।

बुधवार दोपहर उपचार के दौरान मेदांता हॉस्पिटल में उनकी मौत हो गई। बृहस्पतिवार सुबह 9:15 पर उन्हें अंतिम सलामी दी गई इस दौरान जिले के सभी अधिकारी और शहीद सुनील कुमार के परिवार वाले मौजूद रहे। सलामी के बाद उनके पार्थिक शरीर को उनके गांव सैनी के लिए रवाना कर दिया गया है जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया।

बहादुर थे इंस्पेक्टर सुनील कुमार
गांव वालों के अनुसार इंस्पेक्टर सुनील कुमार बहुत बहादुर थे वह छोटी सी उम्र से ही पुलिस अधिकारी बनने का सपना लिए हुए थे और उन्होंने 12वीं पास करने के बाद पुलिस में जाने का निर्णय लिया इसके बाद उन्हें प्रमोशन पर प्रमोशन मिलते गए।

राष्ट्रपति भी मेडल दे चुके हैं।
मेरठ के लाल शहीद इंस्पेक्टर सुनील कुमार को राष्ट्रपति भी सम्मानित कर चुके हैं उनके नाम पर बहुत से मेडल हैं। सुनील कुमार का एक बेटा मोनू और बेटी नेहा है।

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