शारदा रिपोर्टर मेरठ। विभिन्न समस्याओं के समाधान की मांग को लेकर इंडस्ट्रियल ला रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन दर्जनों सदस्य शुक्रवार को कलेक्ट्रेट पहुंचे। इस दौरान उन्होंने एक ज्ञापन डीएम कार्यालय पर सौंपते हुए समस्या के समाधान की मांग की।
ज्ञापन सौंप रहे सदस्यों ने बताया कि, पिछले दिनों भारत सरकार एडवोकेट्स संशोधन बिल 2025 लेकर आयी है। इस बिल के माध्यम से सरकार भारतवर्ष के 27 लाख अधिवक्ताओं के अधिकारों और व्यवसाय पर मनमाने कुठाराघात करने पर आमादा हो गयी है। सरकार इस विधेयक के माध्यम से वकीलों द्वारा अन्याय के खिलाफ उठाने वाली आजाद आवाज को छीन लेना चाहती है। अब वकीलों पर हजार्ना/जुमार्ना लगाया जायेगा। सरकारी जोर जुल्मों का विरोध करने से वकीलों को रोका जायेगा।
सरकार वकीलों पर नियन्त्रण करना चाहती है, उनके जायज विरोध की आवाज को बन्द कर देना चाहती है। आॅफिसर आॅफ दा कोर्ट को कोई सुविधायें नहीं दी गयी हैं। जूनियर स्टाइपेन्ड, चैम्बर, अधिवक्ता पेंशन की कोई सुविधा नहीं है। सरकार अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम तो लायी नहीं, अधिवक्ता संशोधन विधेयक ले आयी, जो एक काला और अधिवक्ताओं की आजादी का विरोधी विधेयक है।
न्यायपालिका, अधिवक्ता आजादी, न्याय, संविधान और कानून के शासन को निष्पक्ष, भयमुक्त और स्वतंत्र रखने के लिए इस अधिवक्ता संशोधन विधेयक 2025 को तुरन्त वापस लिया जाये। इण्डस्ट्रियल लॉ रिप्रिजेन्टेटिव्स् एसोसिएशन, मेरठ का विनम्र निवेदन है कि अधिवक्ता संशोधन विधेयक 2025 को अविलम्ब वापस लिया जाये।